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नेताओं पर व्यंग्य करती कविता वो क्या कहते हैं क्या रहते हैं

          नेता हूँ 

नेता हूँ भाई नेता हूँ
लम्बी लम्बी फ़ेक देता हूँ
सबका दिल जीत लेता हूँ
सिर्फ अपना ही घर भरता हूँ
नेता हूँ भाई नेता हूँ।

नेता हूँ भाई नेता हूँ
जगह जगह पोस्टर चिपका देता हूँ
दूजे को ना चिपकने की हिदायत देता हूँ 
स्वयं को देश-भक्त कहता हूँ
नेता हूँ भाई नेता हूँ।

नेता हूँ भाई नेता हूँ
शिक्षा का कोई स्तर नही
चाहे कितना भी बडा गुंडा हूँ
कोई भी मंत्री बन सकता हूँ
नेता हूँ भाई नेता हूँ।

नेता हूँ भाई नेता हूँ
पेंशन-बीमा सभी सुविधाये लेता हूँ 
दूजे की बन्द कर देता हूँ
मै कुछ भी कर सकता हूँ
पावर मेरे हाथो मे
नेता हूँ भाई नेता हूँ।

नेता हूँ भाई नेता हूँ
स्वेत बगुला सा रहता हूँ
मासूम मछलियों को खाता हूँ 
मगर से मेरा दोस्ताना है
वो मेरा मैं उनका साथ देता हूँ
नेता हूँ भाई नेता हूँ।

नेता हूँ भाई नेता हूँ
लूट खसोट का कारोबार मेरा
कभी मै लूटता हूँ
कभी दूजा लूटता है
ये कहानी वर्षो से चलता है
नेता हूँ भाई नेता हूँ।

नेता हूँ भाई नेता हूँ
बाते बनाना बखूबी जानता हूँ
एक दूजे पे कीचड़ उछालता हूँ
सब जानते मै पापी हूँ
लेकिन कोई चारा नही है
नेता हूँ भाई नेता हूँ।

नेता हूँ भाई नेता हूँ
राजतन्त्र है, लोकतंत्र नही
अपने पक्ष मे नियम बनाता हूँ
जब भेड़े इक्कठी हो जाती है
लाठी चार्ज करवाता हूँ
नेता हूँ भाई नेता हूँ।

        राजू कुमार "मस्ताना"
               दिल्ली

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