नैया आज मझधार में पड़ी है
लिखो तो इतिहास लिखो तुम जुल्म जो अत्याचार हुआ
पढ़ लिख कर घर घर में लड़का कितना है बेकार हुआ
है धाँधली मची हुई है राजा को कुर्सी प्यारी है
जनता भी जागती कहाँ है बनी हुई बेचारी है
झूठ का धंधा फैला हुआ है अपना बस कारोबार हुआ
जागो जागो सोने वाले बिना जागे न मिलता है
लाचारी के फटे भी कपड़े बिन कहे सिलता है
कल तक जो चलता था पैदल कार में आज सवार हुआ
माँ बाप को छोड़ कर बेटा दूर कमाने जाता है
सच है कि पेट भरने भर भी नहीं पैसे लाता है
नैया आज मझधार में पड़ी है इतना कर्ज उधार हुआ
बहन की शादी लगती है माँ बेचारी रोती है
बेटी है कि कह नहीं पाती नैन नीर भिंगोती है
मानवता दम तोड़ रही है बोलो कहाँ सुधार हुआ।
विद्या शंकर विद्यार्थी
बहुत बढ़िया लिखनीं 🙏
ReplyDeleteBahut khoob Surat samyojan
ReplyDeleteCongratulations...