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हिंदी साहित्य समृद्धि मंच द्वारा प्रकाशित होने वाली पहली ई-बुक में शामिल होने वाले रचनाकार एवं उनकी रचनाएँ

पूर्ण नाम~  अनन्तराम चौबे
साहित्यिक उपनाम~ अनन्त
जन्मतिथि~21/2/1952
जन्म स्थान~सुखचैन बार्ड देवरी कलाँ, जिला- सागर म प्र
वर्तमान पता~   113/ए नर्मदानगर ग्वारीघाट जबलपुर म प्र
पिन- 482008
भाषा ज्ञान~ हिन्दी ,बुन्देली
राज्य/प्रदेश~मध्य प्रदेश
ग्राम/शहर~    जबलपुर
पूर्ण शिक्षा~ हायर सेक्रिंडी स्कूल
कार्यक्षेत्र~ सेवानिवृत अधिकारी रेलवे सुरक्षा बल  (आर पी एफ ) जबलपुर
लेखन विधा~ कविता , हास्य व्यंग्य ,गीत, लेख , निबंध ,कहानी, उपन्यास इत्यादि
सम्पर्क~ 9770499027 ,7000716575
प्रकाशन~ मौसम के रंग (1991)
ममतामयी माँ (2017)
सुनहरा कल (2017)
बेटी       (2018)
माता पिता (2018)

  रचनायें प्रकाशित ~लगभग 1000 से ज्यादा कविताएँ जबलपुर व देश के पेपर व पत्रिकाओं प्रकाशित हुई है ।
प्राप्त सम्मान~देश के 11 प्रदेशो से 32 माह में 170 सम्मान मिले है । दिनांक 24/1/2017 से 8/10/2019 के बीच ।
लेखनी का उद्देश्य~ साहित्य को ज्यादा से ज्यादा  लोगो तक पहुँचाना

         माँ दुर्गा काली है

माँ की महिमा निराली है
माँ अम्बे है दुर्गा काली है
सिंह पर रहती सवार 
वो तो माँ शेरों वाली हैं ।

माँ की महिमा अपार 
माँ जगदम्बे काली  है।
भक्तो की रक्षा करती है
मैया है वो शेरो वाली है।

नौ दिन मैया का लागा दरवार है
भक्तों की पूजा का दरवार है ।
प्रथम शैलपुत्री मैया देवी  हैं
द्वितीय ब्रह्मचारिणी मैया हैं ।

तृतीय माँ चंद्रघंटा देवी है
चतुर्थ  कूष्मांडा देवी है ।
पंचमी स्कंदमाता जी है
षष्ठी कात्यानी देवी है ।

सप्तमी कालरात्रि मैया
अष्टमी मैया महागौरी है ।
नवमीं सिद्धिदात्री माता
मैया सब भक्तों को प्यारी है ।

करें कामना मिल मैया की
माँ सुनती सबकी पुकार हैं
करे भक्त आराधना मां की
अदभुत माता का दरबार है ।

  अनन्तराम चौबे अनन्त 
       जबलपुर म  प्र
               ✍️

नाम- अपर्णा शर्मा (शिवसंगिनी )
पता- शिव कुमार  शर्मा
माता  का नाम- शकुन्तला  वाशिषठ
पिता का नाम- श्रीहरि  बाबू वाशिषठ  ( मिनिस्ट्रीऑफ  एजुकेशन डायरेक्टर और एडवोकेट)  
सम्प्रति- फिजियोथेरेपिसट  लेखन  समाज सेवा
साहित्यिक  उपलब्धियाँ - रचनाएँ  विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित, हिन्दी अकादमी द्वाराकहानी प्रतियोगिता में सम्मानित, आगमन  सहित अनेक  मंचो से काव्य  पाठ, आगमन गौरव सम्मान और पुष्प  एवं संदल सुगंध भाव कलश पुस्तक में रचनाएँ प्रकाशित  
निवास- अकंलेशवर, गुजरात

         माँ दुर्गा
हे दुर्गा मां ज्ञान की ज्योति जला दे 
सिद्धियों वाली देवी तू मनोकामना पूरी कर दे 
 कमल पुष्प पर विराजमान है तू 
दाहिने हाथ में  चक्र हैं 
ऊपर हाथ में गदा 
नीचे हाथ में कमल का फूल   
शेर की सवारी करने वाली माता है तु 
जय जगदंबे जय मां
               अपर्णा शर्मा (शिव संगीनी) 
                      गुजरात
                          ✍️


नाम:--  पुष्कर कुमार
पिता जी का नाम :--- विद्दानन्द साह
माता जी का नाम :--- अनिता देवी
जन्मतिथि:--  25/12/1995
उम्र:-- 24 वर्ष
शिक्षा:--  स्नातक
व्यवसाय:--  विद्यार्थी
रूचि:--  समाजिक कार्य तथा साहित्य लेख में
स्थाई पता:- ग्राम - दियारी, पोस्ट ऑफिस-रामपुर कोदर कट्टी, थाना - अररिया, जिला - अररिया, राज्य - बिहार, पिन कोड - 854325
लेखन की विधा :-- कविता
मोबाइल नंबर:--- 7739913084,7870958012

                हे माँ 
हे माँ मुझे चरणों में शरण  दे
ममता के आंचल से ढ़क ले
सारा कष्ट तू मेरा हर ले
विनती है ये मेरा बारंम्बार।।

हे माँ मै बालक नादान
तेरे आगे हू अज्ञान माँ
मेरे झोली भर दे तू माँ
ज्ञान,धन्य-धान्य से  ।।

हे माँ पूजा करु सुबह शाम
चढाऊ लडुवन,फल-फुल
दिखाऊ आरती मै तेरी
नमन करु बारंम्बार माँ।।

हे माँ कृपा कर मुझ पर
भर दे मुझमे प्रेम का सागर
बना दे मुझे संसार मे ऐसा
फैलाऊ ना कहीं हाथ मैं ।।

            चंद्रघंटा
चंद्रघंटा की अलौकिक यह दर्शन
रुप  है  यह  चंद्रघंटा  का
रंग स्वर्ण, हाथ खड्ग,
शोभे मस्तक अर्धचंद्र,
सिंह है,जिसकी सवारी
स्वरुप है,शांतिदायक
और काम कल्याणकारी।।

अराधना करे जो माँ का
धूल जाय उनका सभी पाप
आए जीवन में सुख और शांति
खुशहाली  हो उनका सभी ओर
प्रणाम है माँ को मेरा बारंम्बार।।

               कूष्माण्डा 
माँ का चौथा रुप है कूष्मांडा का
मंद हल्की मुस्कुराहट वाली
रचियता है ब्रह्मांड की,
अष्ट भुजा धारणी,
शोभे भुज इनके कमंडल, धनुष-बाण, 
कमल पुष्प, शंख, चक्र, गदा,
अमृत कलश और
आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और
निधियों को देने वाली जप माला है ll
वाहन है माँ की सिंह
निवासे सूर्यलोक और प्रकाश
फैलाती है चारो लोक।।
प्रणाम है माँ को मेरा बारंम्बार।।

              स्कंदमाता
माँ का पांचवा रूप स्कंदमाता का 
स्‍नेह की देवी हैं, माँ स्कंदमाता
पहाड़ो वाली मईया ये नवचेतना
का निर्माण करती है ,
कार्तिकेय के माता के कारण
स्कंदमाता नाम परा माँ का।।

इनकी कृपा से मुर्ख भी
महाज्ञानी हो जाते है ,
चार भुजाओ वाली माता
कमल पर विराजमान है ,
इसीलिए तो पद्मासना भी
इनका दूसरा नाम है ll

एक भुजा में बालक 
एक भुजा वरदमुद्रा में , 
दो भुजाओ में कमल पुष्प
लिए मंद -मंद मुस्कान है ll

वाहन  है माँ का सिंह 
सूर्यमण्डल अधिस्ठात्री है ,
सारे जग को अलोकिक करती ,
मोक्ष मार्ग भी सुलभ कर देती ll

करु माँ तेरी जय -जयकार , 
करु में बारम्बार प्रणाम ,
अपनी कृपा बनाये रखना ,
यही है हम सब की पुकार ll

          कात्यायनी 
कठोर तपस्या किया कात्यायन ऋषि ने
फिर प्राप्त हुई पुत्री,नाम जिनका कात्यायन
जग जाने मां दुर्गा की छठी शक्ति के रुप में
फिर हुई चारो ओर माँ का जयजयकार ।।

स्वर्ण सी चमकीली है मां का दिव्य रुप
चार भुज धारणी, सोभे एक भुज अभय 
मुद्रा,दूसरा वरदमुद्रा अन्य भुज मां के 
तलवार,कमल फूल ,और वाहन सिंह है ।।

किया माँ ने पापी महिषासुर का वध 
करे जो भक्ति माँ के इस स्वरुप का
हर लेते है उनका सारा दुःख और 
होती उनकी जीवन में खुशहाली
करु मै बारम्बार प्रणाम माँ के चरणो में ।।

             कालरात्रि 
माँ का यह रुप है अत्यन्त भयावह
पर भक्तो के लिए है अत्यन्त शुभकारी
काले बिखरे बाल, तृनेत्र धारणी माँ
ब्रह्राण्ड की तरह विशाल है ।।
पर करती है माँ सभी को पापो से मुक्त
और स्नेह की वर्षा करती भक्तो पर ll

माँ के गले की माला,बिजली की भांति
दीव्यमान है,आसुरिक शक्तियों की 
जर से करती है माँ संहार,
चार भुज धारणी, एक खड्ग तो
दूसरा लौह अस्त्र, तीसरा अभयमुद्रा
और चौथे वर मुद्रा मे विराजमान है,
माँ का वाहन है गर्दभ,
प्रणाम है माँ को मेरा बारंम्बर।।

                महागौरी
माँ का आठवे स्वरुप महागौरी का
धारण करने वाली है सफेद वस्त्र
और आभूषण भी सभी श्वेत है,
वाहन है माँ का वृषभ ( बैल ) ll

चार भुजा धारण करने वाली माँ
सोभे भुज,डमरु, वरमुद्रा,त्रिशूल
और चौथा भुज अभय मुद्रा में 
माता महागौरी  विराजमान है ।।

धन ऐश्वर्य प्रदायिनी, चैतन्यमयी
त्रैलोक्य पूज्य मंगला, शारीरिक
मानसिक और सांसारिक ताप 
का  हरण  करने  वाली  माता
को  मेरा  बारंम्बार  प्रणाम  है ।।

          सिद्धिदात्री 
हे माँ सिद्धिदात्री
तेरी महिमा अदभुत है।।

चार भुज धारणी
सोभे भुज चक्र,गदा,
कमल फूल और शंख।।

वाहन तेरे है माँ सिंह
विराजे कमल पुष्प ।।

तेरी अन्य रुप सरस्वती माँ का 
बुद्धि और बल देती है हमसबको।।

नमन करे जो माँ तुझे
प्राप्त होता सिद्धि उसे ।।

           पुष्कर कुमार
          अररिया, बिहार
                ✍️

नाम - प्रतिभा नागेश (शिक्षिका)
शैक्षिक योग्यता- एम. ए. ( हिंदी साहित्य) बी. एड.
पता - पृथ्वी राज वार्ड ,वार्ड नंबर 4, कूकड़ा जगत , जिला-  छिंदवाड़ा, मध्य प्रदेश 
सम्पर्क- 8959419700, 9893468255
ई मेल - pratibhanagesh21@gmail.com 
लेखन विधा - मुक्तक काव्य, कविताएं, गज़ल  

          दुर्गा माँ 
नौ दिन में नौ रूप है मां के हर  दिन नया स्वरूप ,
हर दिन नया स्वरूप है मां के नौ दिन के नौ रूप।
हर एक रूप की हमने की है नौ दिनों तक साधना,
सारे जग को है समर्पित हम  भक्तों की आराधना,
रूप रंग आसन वाहन से की माता की शब्दों में व्यंजना ,
हाथ जोड़ नतमस्तक हो कर मां से हम करते प्रार्थना।

                शैलपुत्री
पर्वत राज हिमालय के घर माता का अवतीर्ण हुआ,
पूर्व जन्म में मां सती रूप में दक्ष यज्ञ विध्वंस किया ।
पति रूप में शिव को पाया मां शैलपुत्री कहलाती है,
नव रात्रि में प्रथम दिवस इनकी पूजा की जाती है।

               ब्रह्मचारिणी
दिन दूसरा मां ब्रह्मारिणी का  तपस्या में दिन रात लीन रही,
पति रूप में शिव को पाने को कठिन तप और व्रत करी ।
तप, त्याग वैराग्य, सदाचार, संयम का जीवन में स्थान बताया , 
एक हाथ में जप की माला एक में कमंडल धारण किया ।

                चंद्रघंटा
तीसरी दुर्गा मां चंद्रघंटा है माथे में घंटा सा चंद्रमा ,
मन वचन कर्म से शुद्ध भाव धर मां के शरणागत आजा।
दस भुजाओं को धारण करती अस्त्र शस्त्र है हाथ में ,
सोने से रंग से सुशोभित रूप मनमोहक छवि मात में।

                कूष्माण्डा 
चौथा दिन मां कूष्मांडा का , आठ भुजाओं वाली ,
अलग अलग शस्त्रों से सुशोभित मां की छवि निराली  ।
कुष्मांड बलि प्रिय मां को,  मां कूष्मांडा कहलाती ,
सूर्य मंडल में निवास है मां का , गोद भरे मां खाली ।

             स्कंदमाता
चौथा दिन मां कूष्मांडा का , आठ भुजाओं वाली ,
अलग अलग शस्त्रों से सुशोभित मां की छवि निराली  ।
कुष्मांड बलि प्रिय मां को,  मां कूष्मांडा कहलाती ,
सूर्य मंडल में निवास है मां का , गोद भरे मां खाली ।

           कात्यायनी 
घोर तपस्या की कात्यायान ने मां पुत्री रूप धर आई,
ऋषि कात्यायन के घर जन्मी मां कात्यायनी कहलाई,
शहद का भोग लगे  माता  को  लाल  रंग है  भाए,
अस्त्र शस्त्र धारण  करती  है  मां की चार भुजाएं,
महिषासुर का नाश कर माता महिषासुर मर्दनी कहलाए,
छटवे दिन मां का पूजन करके मनवांछित वर पाए। 
     
                 कालरात्रि
 दिन सातवां मां कालरात्रि का रूप बड़ा विकराल ,
तीन  नेत्र है  लाल   भयंकर   और  है बिखरे बाल।
गदर्भ   की  माता करे  सवारी  हाथ में  है  तलवार,
अंधकार  सा  रंग है काला , करे  दुष्टों दैत्यों  का  संहार।

               महागौरी
शिव के लिए कठोर तप से शरीर मां का काला हुआ,
फिर गंगा  जल से शिव ने  मां को  गौर स्वरूप दिया,
श्वेत  वस्त्र  धारण करती मां , माता  महागौरी  कहलाई,
वृषभ वाहन है चार भुजाएं दिन अष्टमी को पूजी जाएं।
एक हाथ डमरू धर  माता एक  हाथ अभय मुद्रा सा,
एक हाथ में त्रिशूल लिए और एक हाथ वर मुद्रा सा।

                  सिद्धिदात्री 
नौंवी देवी सिद्धिदात्री माँ नवमी के दिन होता पूजन,
नियम निष्ट हो कर करो मां का ध्यान उपासना और स्मरण ,
मां की कृपा से शिव शंकर जी अर्धनारीश्वर कहलाए,
आठ सिद्धियां प्राप्त हो उसको जो माता को घ्याए ,
कमल पुष्प , शंख, चक्र और गदा है  
हाथ ,
चार भुजाएं हैं मां की और सिंह वाहन रूप में साथ। 

                   प्रतिभा नागेश
                छिंदवाड़ा, मध्यप्रदेश 
                         ✍️

नाम- कंचन प्रभा
पति- श्री विकास कुमार वर्मा 
जन्म तिथि-14/06/80
शिक्षा-एम ए (समाजशास्त्र), डी एल एड
व्यवसाय- शिक्षिका (सदर प्रखंड)
पता-तेजस्वी अपार्टमेंट के निकट,लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार , पिन- 846001
सम्पर्क-7903092818, 9771815255

             शैलपुत्री
हिमालय सुता शैलपुत्री
दाहिने हस्त त्रिशूल
बाएँ कमल सुशोभित 
सती द्वितीय नाम 
बैल पर सवार
खडग,चक्र,गदा,बाण
धनुष,शंख,कपाल
        नीलमणि के समान
        कांति युक्त,श्वेत वस्त्र 
       कमल पुष्प,निश्छल नयन
       स्थिरता,शक्ति का प्रतीक
       धृत पूजन,नित सृजन
        वरदान दे तू ज्ञान दे
        माँ शैलपुत्री तुझे नमन

              ब्रह्मचारिणी
तप का आचरण करने वाली
माता है ब्रह्मचारिणी 
दाहिने हस्त जप की माला
हस्त बाएँ कमण्डल धारिणी
ब्रह्म से बना तपस्या
तपस्या से ब्रह्मचारिणी 
अनंत फल दात्रि 
तप,त्याग,वैराग्य
संयम मिले सदाचार
सर्व सिद्धि करे प्रदान
हे माँ ब्रह्मचारिणी
तुम्हे सत सत प्रणाम

                चंद्रघंटा
शान्तिदायक कल्याणकारी
मस्तक पर अर्ध चंद्र शोभे
दश भुजा,शरीर स्वर्ण
खडग अस्त्र शस्त्र सुशोभित
युद्घ की मुद्रा सिंह सवार
जो करे उपासना माँ की
सौम्यता,निर्भयता और 
विनम्रता से हो जाये परिपूर्ण
दिव्य सुगंधि,दिव्य ध्वनियों से
भक्त हुए भाव विभोर
तृतीय शक्ति चंद्रघंटा माँ की
नमन करुँ कल जोर 

              कूष्माण्डा 
मंद मुस्कान
अष्टभुजा सिद्धि जप माला
कमण्डल,धनुष बाण 
कमल पुष्प,अमृत कलश
चक्र, गदा सुशोभित
सिंह पर विराजे
कुम्हड़े की बलि प्रिय
सुर्यमंडल निवासिणी
रोग शोक विनाशिणी 
कूष्माण्डा सृष्टि आदिस्वरूपा
चरणस्पर्श शक्तिस्वरूपा

            स्कंदमाता
    पूजन करें पाँचवे दिन
    हृदय में भक्ति समाए
  प्रथम माता प्रसूता माता
जिसके पुत्र कार्तिके कहलाये।

हस्त कमल पुष्प सुशोभित 
    स्कंद विराजे गोद
   वरमुद्रा धारण करती
  भक्त सजे चहचहुँ ओर।

    तेरी शरण में आकर
   भक्त फुले नही समाता
सत सत नमन करूँ तुम्हारी
     हे जननी स्कंद माता ।

               कात्यायनी
दिव्य स्वरूप 
     प्रभा कांति
दे भक्तों को 
    मन की शांति

हस्त कमल
   तलवार सुशोभित
शरण मे आकर
   पायें अमृत

सूता ऋषि कात्यायन
   मन संचार हो पावन 
शिव पटरानी 
    ब्रजमंडल अधिष्ठत्रि 

पिताम्बर पुष्प चढ़े
    विवाह हेतु कल्याण करे
अभयमुद्रा धारिणी
    देवी है कात्यायनी

               कालरात्रि
रुद्रानी भी शम्भुकारी
हस्त कटार,काँटा धारिणी
माता के है नाम अनेक
वाहन गर्दभ इनका एक
बिखरे बाल रंग है काला
गले में विद्युत की माला     
नासिका से निकले ज्वाला
त्रिनेत्रधारी कालरात्रि
दुखियों के लिये बने मातृ
माता तीन नेत्रों वाली
नमन तुम्हें हे माँ काली

            महागौरी
अष्टमी तिथि को पूजन होवे
कुंवारी कन्या का भोजन होवे

शिव आराधना करने वाली
शिव कृपा गौर बनने वाली

चार भुजा वरमुद्रा शोभिनी
हस्त डमरू, त्रिशूल धारिणी

वृषभ पर विचरण करने वाली
श्वेत वस्त्र धारण करने वाली

श्वेत मिठाई से भोग लगावे
कंचन थाल में पुष्प सजावे

श्वेत पुष्प चढ़ाकर माता
भक्त करे माँ की जगराता

                 सिद्धिदात्री
कमल पुष्प है आसान तेरा 
हर ले सब दुख माते मेरा

शंख चक्र पुष्प गदा शोभिनी
चार भुजा लाल वस्त्र धारिणी 

छोटी कन्या को भोज करावें
खीर मिठाई का भोग लगावें 

शिव ने प्राप्त किया है तुमसे
अर्धनारीश्वर का रूप महान

हे सिद्धि की दात्रि माता
तेरे चरण में सत सत प्रणाम

         कंचन प्रभा
       दरभंगा, बिहार
               ✍️

नाम- अवतार सिन्हा
पद-सहायक शिक्षक
संस्था-प्राथमिक शाला चचरापारा
जिला गरियाबंद छत्तीसगढ़
पता -ग्राम पोस्ट अमली पदर जिला गरियाबंद छत्तीसगढ़
मो0- 7987964771, 9907811621
शैक्षणिक क्षेत्र में किये गए कार्य और सम्मान
मुख्यमंत्री गौरव अलंकरण (शिक्षा दूत सम्मान 2018), राज्य शैक्षिक संस्थान छत्तीसगढ़ द्वारा शाला समिति को सम्मान दिलाया, बालिका शिक्षा एवं मातृ सम्मेलन में सम्मानित, श्यामनंदन मिश्र विद्यालय द्वारा सम्मानित, शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल उरमाल द्वारा प्रशस्ति पत्र, बाल मेला का सफल संचालन एवं प्रशस्ति पत्र, संकुल स्तरीय खेल प्रतियोगिता में सहयोग एवं सम्मान पत्र, विकास खण्ड स्तरीय खेल प्रतियोगिता में सहयोग एवं प्रशस्ति पत्र से सम्मानित, सामुदायिक पुलिसिंग के तहत खेल प्रतियोगिता में सहयोग एवं प्रशस्ति पत्र से सम्मानित, पुलिस थाना अमली पदर द्वारा प्रसंसा पत्र, रक्त दान शिविर में सहयोग एवं प्रशस्ति पत्र से सम्मानित, योग शिविर में सहयोग एवम सम्मान पत्र
"साहित्य के क्षेत्र में सम्मानित"
 रविन्द्र नाथ टैगोर स्मृति सम्मान, हरिवंशराय बच्चन स्मृति सम्मान, काव्य भूषण सम्मान, कवि भूषण सम्मान, काव्य सम्राट सम्मान, रतनांचल रत्न सम्मान2018, साहित्य भूषण सम्मान, साहित्य साधक सम्मान फतेहाबाद, हिंदी साहित्य परिषद धमधा द्वारा सम्मानित, बिलासा साहित्य एवम संगीत धारा परिषद द्वारा सम्मान पत्र, जीवन उड़ान प्रतियोगिता नई दिल्ली द्वारा सम्मान पत्र, महाकवि रामचरण हायणयन स्मृति सम्मान, हिंदी साहित्य समृद्धि रत्न सम्मान, साहित्य प्रेरक सम्मान, युवा कलमकार प्रशस्ति पत्र, साहित्य गौरव सम्मान, इत्यादी ।
                   माँ दुर्गे
तू ही काली जगदम्बा, आदि शक्ति महामाया है।
तेरे द्वारे हे भवानी,अँगार शीश झुकाया है।

नौ दुर्गा तुम महागौरी,कालरात्रि मन भाया है
कण कण में हो तुम,  तेरी मूरत समाया है।

कृपा करो हे देवी, माता आदि भवानी
कष्ट हरोशक्ति स्वरूपा , तूने जग भरमाया है

मेरे मन मंदिर में तुम, ज्ञान की जोत जलाना
तेरी ही कृपा से तो,मूर्ख भी ज्ञान पाया है

माता तू मेरी लाल तेरो, मैं अज्ञानी क्षमा करना।
जग के माया में बंधा,इस जग को तूने रचाया है

                    अवतार सिन्हा अँगार
                     गरियाबंद छत्तीसगढ़
                                  ✍️

नाम-  डॉ० धाराबल्लभ पांडेय, 'आलोक '(अध्यापक एवं लेखक)
पता-  29, लक्ष्मी निवास, कर्नाटक पुरम, मकेड़ी, धारानौला चितई रोड, अल्मोड़ा, पिन- 263601,
 उत्तराखंड, भारत।
मो0- 9410700432
जन्म स्थान- ग्राम करगीना, डाकखाना- चौनलिया, तहसील- भिकियासैण, जिला- अल्मोड़ा, उत्तराखंड, भारत
पिता का नाम - स्व० श्री देवीदत्त पांडेय।
माता का नाम- स्व० श्रीमती लक्ष्मी देवी पांडेय।
शिक्षा-  एम०ए० (हिंदी, संस्कृत ) पीएचडी (संस्कृत)
रुचि-  अध्यापन, साहित्य लेखन, कविता लेखन, योग, चित्रकला और संगीत
जन्म तिथि- 15 फरवरी, 1958
सम्मान:-  राज्य उत्कृष्ट शिक्षक पुरस्कार, प्रतिभा सम्मान, युगशैल संस्था द्वारा शिक्षक पुरस्कार, केंद्रीय सचिवालय हिंदी परिषद द्वारा शब्द साधक सम्मान 2019, सर्व शिक्षा अभियान मैं जिला समन्वयक के पद पर कार्य करते हुए उत्कृष्ट कार्य के लिए विभिन्न  सम्मान, प्रशस्ति पत्र तथा विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा साहित्यिक सम्मान एवं प्रशस्ति पत्र
 प्रकाशित पुस्तकें- पावन राखी, ज्योति निबंधमाला, सुमधुर गीत मंजरी, बाल गीत माधुरी, 5000 वर्षीय कैलेंडर, 22500 वर्षीय ईसवी, विक्रमी, बंगला व शक संवत् का संयुक्त कैलेंडर, समयालोक सुदर्शनी, अंत्याक्षरी दिग्दर्शन, अभिनव चिंतन, भाव गुंजन और गीत गौरव।
प्रकाशनाधीन-भीष्म प्रतिज्ञा, पतंजलि अष्टांग योग का समीक्षात्मक अध्ययन, अटूट प्रीति एवं कविता संग्रह।अन्य- विभिन्न समाचार पत्रों एवं पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित लेख, निबंध एवं कविताएं तथा आकाशवाणी अल्मोड़ा से प्रसारित लेख, विचार, कविताएं एवं काव्य पाठ

                  देवी स्तुति
न जानूं मैं माता, नमन तव पूजा सुमिरना।
न जानूं मैं मुद्रा, कथन भव बाधा विधि मना। 
न जानूं मैं तेरा, अनुसरण माता विमलिनी। 
कलेशा, संकष्टा, सकल दुख हारी कमलिनी।।

सुकल्याणी माता, विरत सत पूजा विमुख मैं। 
न धर्मी-कर्मी मां, अलस कुविचारी अपढ़ मैं।
क्षमा प्रार्थी माता, विमल मन माता करुणिका।
सदा छाया देना, सकल दुखनाशी दयनिका।।

भवानी रुद्राणी, जगत दुख हारी मधुमना।
शिवानी कल्याणी, भव-विभव तारी सतमना।
नहीं मैं हूं माता, विमल मन धारी सरलता।
अधीरा कुंठा से, ग्रसित मन मेरा चपलता।।

शरण्या माता तू, सब विपति हारी कमलिनी।
दया आर्द्रा धारी, अधम मन मैं माँ विमलनी।
कुपूता मैं माता, सरल तुम माता शिवमयी।
न मोक्षापेक्षा मां, जगत जननी मां सुखमयी।।

जटाधारी शंभू, जगतपति संगी दुखहरी।
कपाली कुष्मांडा, सकल गुण धारी सुख करी।
अधर्मी अन्यायी गरल मन मैं हूं शरणिनी।
अज्ञानी हंकारी, चरण रज माता शिखरिणी।।

नवारात्री माता, नव नव रुपाणी नवधरी।
हिमाला पुत्री मां दुख विदलिनी मां मधुकरी।
अधीरा अन्यायी, शरण तव पावे दुखहरे।
दया तेरी पावे, सहज मन ध्यावे सुखधरे।।

शिवानी कौमारी, शशिमुखि सुशोभा सुधरिणी।
 सुशोभा धारी मां, सकल सुख कारी विचरणी।
अनेका रूपाणी, करुण मन रूपा शिवमयी।
शिवारूपा माता, निज चरण सेवा मधुमयी।।

 सुशांतीकारी मां, सुखदयिनि माता जगत मां।
नवारात्री पूजा, सुखदकर दात्री सुखद मां।
छिमा देना माता, मन थिर न अम्बा दुखमना।
भवानी शैलानी, भव-जलधि तारी सुखमना।।

     डॉ० धारा बल्लभ पांडेय 'आलोक    
            अल्मोड़ा, उत्तराखण्ड 
                       ✍️


नाम- शशिकांत "शशि" 
पिता- स्व० दशरथ प्रसाद देव
माता- स्व० माला देवी
जन्मतिथि- 25/04/1975
पता:- ग्राम + पोस्ट- भद्दी, पतरघट, (सहरसा) बिहार 
शिक्षा- स्नातकोत्तर 
संप्रति-  विज्ञान शिक्षक 
अभिरुचि- साहित्य सृजन
उपलब्धियां --
* अखिल भारतीय साहित्य परिषद सम्मान 1997 
*  युवा महोत्सव गुमला द्वितीय पुरस्कार 1998 
*  प्रभात खबर रांची सर्वश्रेष्ठ कवि सम्मान 2003 
*  साहित्य साधना सम्मान 2019
*  हिंदी साहित्य समृद्धि रत्न सम्मान 2019
*  माततृभाषा गौरव सम्मान2019 
*  साहित्य विचार प्रतियोगिता सम्मान 2019
*  अखिल भारतीय साहित्य परिषद सहरसा दिनकर स्मृति सम्मान2019 
*अनवरत 20 वर्षों से बिहार झारखंड तथा दिल्ली के पत्र-पत्रिकाओं में साहित्य लेखन। साझा संकलन ---
* "दर्पण" (कविता) 1997 
* "चिंदी चिंदी जिंदगी" (समीक्षा) 2016
 * "काव्य संरचना" 2019
* "उजेश" 2019
 * "काव्य स्पंदन" 2019
दूरभाष- 7254905905
ईमेल- kavijeeindia@gmail.com

              प्रार्थना 
तेरी अर्चना करूं, तेरी वंदना करूं
हे   जगदम्बिके,  मैं प्रार्थना करूं 

मुझे ज्ञान दे,  सम्मान दे
निज कर्म का अभिमान दे 
मैं काम आऊं  हर किसी के 
मां मुझको  तू   वरदान दे 

तुमसे ही कर जोर माता 
दर पर तेरे याचना करूं 

तेरी अर्चना करूं, तेरी वंदना करूं 
हे जगदंबिके   तेरी  प्रार्थना करूं

तुमसे  ही संसार है मां
तुम ही जगह आधार है 
तेरा पुत्र तुमसे मांगता 
बस, तुम्हारा  प्यार है 

हो यह सुखी संसार मां 
दिन रात यही मैं कामना करूं
तेरी अर्चना करूं तेरी वंदना करूं 
हे जगदम्बिके  तेरी प्रार्थना करूं।

               शैलपुत्री
मां पार्वती,  शंकर - प्यारी
दक्ष की पुत्री,  बड़ी दुलारी 
पिता ने जब महायज्ञ किया 
शंकर जी  को  छोड़ दिया 
किंतु पार्वती यज्ञ में आयी
तिरस्कार को सह ना पायी 
यज्ञाग्नि में खुद को जलाया 
तब से "सती" नाम कहलाया
हिमालय की पुत्री बन आयी
"शैलपुत्री" तब नाम कहायी
कर जोड़  विनती  है मैया 
पार  लगाना  मेरी  नैया ।।

               ब्रह्मचारिणी
मां ब्रह्मचारिणी , दुखहरिणी 
तप कीनो सहस्त्र तपश्चारिणी 
श्वेत  वस्त्र धारी ,  मां वरदायिनी 
भक्तन की श्रद्धा, मां विस्तारिणी 
हस्त कमण्डलु और  जपमाला 
भोग लगे मां, चीनी का  प्याला 
कहे " *कवि" मां कृपा कर देना 
दुखियन की झोली  भर देना।।

           चंद्रघण्टा
भक्तों के दुख दूर करो मां 
दुखियों के संताप हरो मां
हस्त त्रिशूल, गदा, तलवारा 
"चंद्रघण्टा" है नाम तुम्हारा 
अस्त्र शस्त्र माता का बल है 
लिए कमंडल, हस्त कमल है 
भोग खीर का मां को  लगाऊं 
यश - कीर्ति - वरदान में पाऊं।।

      कुष्माण्डा
मां कुष्मांडा करो कृपा, 
अज्ञान मिटा दे मन का ।
रोग शोक संपूर्ण मिटा दे, 
इस जग के जन-जन का ।‌।

अष्टभुजा कर कमल विराजे 
चक्र  धनुष  और बाण ।
हे सिंह सवारी मैया कर दे 
जग का तू कल्याण ।।

आदिशक्ति हो परमशक्ति हो, 
तुम हो जग की माता 
सूर्य "शशि" संग ऋषि मुनि  
सब  तेरा ही गुण गाता ।।

        स्कंदमाता
सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री 
मां है  चार  भुजा धारी ।
भक्तों की रक्षा पुत्र समान 
करती है  मां  शेर सवारी।।

कार्तिकेय की सुन पुकार 
प्रकट हुई   तब माता ।
स्कंदमाता तब नाम पड़ा 
हो गई मां जग विख्याता ।।

दो हाथों में कमल शोभे
एक हाथ में स्कंद कुमार 
एक हाथ से दे आशीष 
धन्य धन्य करती संसार ।।

चंपा फूल है प्यारा मां को 
केले का भोग लगाऊं।
श्रद्धा भाव से अपनी मां को
निशदिन शीश झुकाऊं।।

      कालरात्रि
मां कालरात्रि   रूप विकराला 
कठिन तप से रूप भयो काला 
त्रिनेत्री मां  जग  विख्याता 
हस्त में खड्ग और है कांटा 
किंतु मैया भक्तन हितकारी 
शुभंकरी मां   सिंह सवारी 
विद्युत माला गले में दमके 
काम तमाम करती है अधम के
गुड़ का भोग माता को लगाओ 
घृत  दीप से आरती  सजाओ
रक्त पुष्प और रक्त ही चंदन
मां कालरात्रि स्वीकारो वंदन

        महागौरी
चल भक्तों चल माता के दरबार
गौरी मां, बेटों पर लुटा रही है प्यार 
हम भी तो उनकी ही मूरख हैं संतान 
है यकीन महागौरी करती है कल्याण 
गौर वर्ण मैया का लगता मनभावन 
अष्टमी का दिन आया है बड़ा पावन 
पीत वस्त्र धारण कर कर लो पूजा 
मनोकामना पूर्ण करें ना कोई दूजा
वर्ण महागौरी के शिव की कृपा से 
मैं  धन्य हो जाऊं मैया की दया से 

       सिद्धिदात्री
नवदुर्गा नवरात्र की महिमा है अपार 
माता सिद्धिदात्री सुन लो मेरी पुकार 
शरण तुम्हारी आया हूं मैं 
अंसुवन जल भर लाया हूं मैं
सबकी मनोकामना पूरी 
मेरी क्यों रह गई अधूरी 
मां ने कहा बेटे तू सुन ले 
नवरात्र पूजन तू कर ले 
नवकन्या करवाना भोजन 
श्रद्धा भाव से करना अर्पण 
मेरा आशीष है संग तुम्हारे 
सिद्ध होंगे कर्म तव सारे

         शशिकांत "शशि"
          सहरसा, बिहार
                  ✍️

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