ज्ञानपीठ पुरस्कार
ज्ञानपीठ पुरस्कार की शुरुआत 1965 में हुई । 1968 में हिंदी के लिए पहला ज्ञानपीठ (सुमित्रानन्दन पंत की कृति चिदम्बरा को ) मिला । शुरुआत में यह पुरस्कार कृति को दिया जाता था लेकिन 1982 में कृति के लिए अंतिम ज्ञानपीठ ( महादेवी वर्मा की कृति यामा को ) दिया गया । इसके बाद यह कृति विशेष की बजाए साहित्यकार को दिया जाने लगा ।
अब तक हिंदी के दस साहित्यकार साहित्य के इस सर्वोच्च सम्मान को प्राप्त कर चुके हैं । इनके नाम इस प्रकार हैं -
1968 - चिदम्बरा ( सुमित्रानन्दन पंत )
1972 - उर्वशी ( रामधारी सिंह दिनकर )
1978 - कितनी नावों में कितनी बार ( अज्ञेय )
1982 - यामा ( महादेवी वर्मा )
1992 - नरेश मेहता
1999 - निर्मल वर्मा
2005 - कुँवर नारायण
2009 - अमरकांत और श्रीलाल शुक्ल
2013 - केदारनाथ सिंह
2017 - कृष्णा सोबती
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