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गोदान उपन्यास के महत्वपूर्ण तथ्य

गोदान स्पेशल शॉर्ट नोट्स

⇒ होरी की इच्छा पछाई गाय लेने की थी।
⇒ होरी भोला (ग्वाला) से गाय लाया था।
⇒ होरी के गाँव का नाम- बेलारी।
⇒ ‘‘गाँव क्या था, पुरवा था, दस-बारह घरों का, जिसमें आधे खपरैल के थे, आधे फूस के।’’-कोदई गाँव का वर्णन।
⇒ गोबर का वास्तविक नाम-गोवर्धन।
⇒ ‘बाहर से तितली है और भीतरी से मधुमक्खी’ यह कथन ‘गोदान‘ उपन्यास में-मालती के लिए।
⇒ ‘गोदान’ उपन्यास यथार्थवाद उपन्यास है, न कि आदर्शवाद।
⇒ ‘‘पहना दो मेरे हाथ में हथकङियाँ, देख लिया तुम्हारा न्याय और अक्ल की दौङ’’ कथन है-धनिया का।
⇒ उपन्यास में महाजनी सभ्यता का विरोध हुआ है।
⇒ कृषक की आर्थिक समस्या का चित्रण हुआ है।
⇒ यह उपन्यास समस्या प्रधान है।
⇒ ‘गोदान में गाँधी और मार्क्स  को प्रेमचन्द ने घुला- मिला दिया है।’- कथन है
बच्चन सिंह का।
⇒ प्रेमचन्द का सबसे विख्यात और अंतिम उपन्यास-गोदान (1936 ई.)।
⇒ गोदान की कथावस्तु-कृषक की समस्या।
⇒ होरी के पास पाँच बीघा जमीन थी।
⇒ गाँव की कथा और शहर की कथा साथ-साथ चलती है फिर दोनों कथाओं में संबंद्धता और संतुलन पाया जाता है।
⇒ गोदान एक राष्ट्रीय प्रतिनिधि उपन्यास है।
⇒ उपन्यास में शोषण व अन्याय के विरूद्ध भरती हुई नई पीढी की विद्रोह और असंतोष का प्रतीक है- गोबर।
⇒ मालती व मेहता लखनऊ में रहते है।
⇒ रायसाहब सेमरी गाँव में रहते है।
⇒ प्रेमचन्द ने गोदान को संक्रमण की पीङा का दस्तावेज बताया है।
⇒ पंडित दातादीन के पुत्र का नाम मातादीन था।



गोदान के प्रमुख पात्र

होरी-धनिया,सोना-मथुरा, रुपा-रामसेवक, हीरा-पुनिया,
सोभा, गोबर-झुनिया, मेहता-मालती,खन्ना, राय साहब,

मिर्जा खुर्शेद, दातादीन, मातादीन, सिलिया आदि।

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