"साफ-सफाई"
विधा - "कवित्त"।। 1।।
महामंत्र है मोदी को मंत्र, सफाई को तंत्र
गले का यंत्र देखि उन्हें तो शर्म कीजिए।
गली - कूंचे बहार सजाओ निज घरद्वार
रखो ना कतवार कुछ तो कर्म कीजिए।।
अन्तः वाह्य उजियार पाओ खुशियां अपार
हँसे संसार दीपावली पे धर्म कीजिए।
झाड़ू को उठाओ तूं जरा भी ना शरमाओ तूं
स्वच्छता जिलाकर तन को गर्म कीजिए।।
।। 2।।
सफाई को अपनाओ तूं व्याधि को भगाओ तूं
समाज को दिखाओ तूं नाम को बढ़ाइये।
करो कर्म सटीक तूं छोड़ो न निज लीक तूं
दिखो सदा अलीक तूं मान को तो पाइये।।
पूरा विश्व दंग है कुछ अपना भी रंग है
और बड़ों का संग है विमल बनाइये।
साफ़ - सफाई लाये ते दुनिया को दिखाये ते
शुभाचार को पाये ते सुकर्म दिखाइए।।
स्वरचित मौलिक ।।कविरंग ।।
पर्रोई - सिद्धार्थ नगर (उ0प्र0)
मो0- 7355543347
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