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अफीम डोडा नशे की कहानी

समाज में सदियों से प्रचलित अफीम डोडा  व नशे की कुरीति पर केन्द्रित एक प्रेरणादायी राजस्थानी कहानी -


                           "अणदौ बंधाणी"
            भाईड़ो! थे कोई मति बण जौ बंधाणी 

नशो किणी भी तरीकै हो, कइजै है नशों नाश रो घर । नशो करण सूं मोट्यार आपरी खून पसीनै री कमाई तो गमावै ई है साथै ही आपरी भाईयो, कलुंबै अर समाज मांय आपरी साख ई गमावै। नशो पूरी तरियां लाग्या पछै उदैई लकड़ी नै खावै ज्यूं अपणै शरीर अर धन, घर-बार नै खाय नै माटी भिळता कर दैवै। हूं आगे एड़ी ही अणदै जी री कहाणी बताऊं जिक्का जौध-जवानी मायं अमल सरीखै नशै री लत मायं आय आपरी जिंदगी नशे सूं डूबाय नाश कर दियौ ऐड़ी थानै सीख दैवण वाळी कहाणी लिखाऊं बा इण तरियां है- 
कुळजुग री बार मालाणी बाड़मेर परगनै में राबड़ी पाऊ ठाकरै जी खेमांणी री गुवाड़ी नामी अर चावी हुआ करती । इणारैं ढाणी मायं खौड़'रा झूंपड़ा, अरणै री लकड़ियों रा किणारा, गोबर रो आंगणौ, मौटी-मौटी भींता माथै धौळ अर रिमजी रा फूटरा मांडणा बण्यौड़ा, चांदी जैड़ी चमकती रैत री बाखळ में गैरो हरियो नीम्ब रौ पेड़, बूंगा बंध अरणै री ताटी अर च्यारूंमैर तालसेक पाइयों री बाड़। उत्तरादी दिस मांय सांगौपांग दस-इग्यारै हाथ री धमताळ गुड्डाळ जिण मांय बंतळ, हथायां अर गुरबत सदा चालती रैवती। घणौ मौकळो खेत, अर धण-धपण। धन धींणै रा धापा अर सगळा सुख लिखायौड़ा मौज करै, भगवान महाराज घणौ ई राजी, किणी दूजौ किणी तरीयां री कमी कौनी ही। ठाकरो जी घणा मीठा बोली'रा, मिनख मिंल्या घणौ राजी अर आयै-गियै'री चाकरी करण वाळो मिनख हो। इंणारी गुडाळ में कुणै-न-कुणै मैहमान अर भाई गिनाइत आयौ ई मिलै। आ गुडाळ होळी-दीयाळी, अर आखातीज री गांव री रैंयाण-हथाई रो ओ ही ठिकणौ हो। मिनख नांव पूछ नै आवै, पगरखी खोलणनै ठौड़ मिलै, ऐड़ी ठाकरै जी री ढाणी । ठाकरै रा ऐ दिन रामजी सीधा ही कोनी दीना हा। सरू में जीसा खैमे रै कसालो हो ठाकरै रो ब्याव खासो दौरो हुयौ। ब्याव रै दस बरस तांई घरआळी रै पैट कोनी मंड्यो हो। एक बार तो ठाकरौ इण सोच में पड़ग्यो के ठा घर ठालौ ई रैव जावसी। कई भोपां, भरड़ा, अर सैणा समझणा सूं ठाकरों भेटो कियो पण उणरै आंगणै थार् बाजण री उडीक ही रैई। उणनै नै बैटो कठै काणी छौरी री ई मन आवै, ज्यौं बांडैं बळद् नै पूंछ री आवै। ठाकरै नै दूजै ब्याव री उड़ीक में झुर-झुर नै उणरै भी हिंयै में पाख पड़ग्या। एक दिन अपणै मोहनजी महाराज जैड़ा वैद-टिंपणै रा जाणकार मराज आया तो ठाकरै री मां दिनमान पूछ्या, उणा कयौ के ठाकरे ने कैवो रामदेवरो बोल। थारै बाबो रामापीर लीला लैर करसी अर आंगणियै पालणियों बंधासी। आ बात सुणता ई ठाकरे झट हाथ मूंडो धोय, जोत कीनी अर सात पग रूणिचै सामी धर नै रामापीर बडा महीनां में पैदल फैरी दैवण री मानता कीवी। ठाकरै बा लगन इत्तरी पक्की के धरती रा धर डिग जावै पण म्हूं रामदेवरा जावण सूं नीं चूकूं। आपरी पक्की इषट अर खेवटा सू बाबे रै जात दैई आयौ। बाबै री मैहर हुई ठाकरै रै घरै थाळी बाजी। मोभी देरामों, पछै अणदौ उनै पछै छोरी फूलकी जलमी। ठाकरै रौ आंगणौ फूलों छायों होइ ग्यो। गुवाड़ी जोर जमी, अर सांवरियों इ मैहरबान हो। ठाकरो तो इत्तरौ राजी कै जाणै रोवती नै पीहरिया मिळग्या। घिरत विर:त री छिंया देख जोग ऐड़ा मिल्या के पाखती रै गांव सूं मोभी देरामै रै ब्याव सारूं उठाऊ नारैळ आयो। ब्याव री विरद बधाय नै घर में ली अर घी आळे घड़े माथै मैल दीवी। दैरामों तो माल मोट्यार, नैनकियो भाई अणदौ लाहरियै गाळे माथे, रूप रौ सरूप नै जीव रौ घणौ सौकीन। कोडीलो अणदौ राजकी घोड़ी चड़नै मोटै भाई दैरामें री जाॅन में गयो । जाॅन में ऊंट, घोड़ां रा झुलरा, गलडबलै बंदूकां लटकायौड़ी बींद रा मामा, खंवै माथै रक्खी घल्योड़ा बड़जाॅनी, धोळी-धोळी दाड़ियां वाळा, पौथियाबंद भाई-गिनाईत, गावणिया-बजावणिया, दूहा देहणिया अर नाई जी समेत सगळा ई भैळा। जाॅन ऐड़ी लागै कै जाणै काछवै कैळवत री है। ठाकरै चौखो गैहणौं, ठावकी झळमळाट वरी अर मोकळी संभाल सूं  मोंढियों नै गहरा राजी कर दीना। अणदौ बींद रौ भाई पड़कंद रै साथै-साथै थैट चंवरी में पूग ग्यो। ब्याव जबरौ मंड्यो देख अणदौ घणो ई राजी। आंख में मिरच-आटो नांखण अर रोळ मसखरी री जोखम भूल , अणदौ ब्याव देखण नै जम ग्यो। अणदौ रूप रौ सरूप, रंग रौ गौरो, छाती रो वजरवट, आंख्या में ठोई-ठोई सूरमो राल्योड़ो, आंख में भैरू जगै, लाल मलमल रो फेंटो बांध्योड़ो जिण में चांदी सूं मंढियोड़ो घोड़ो कांगसियो, कान कुचरणियां, कळी अर आरसी टांगयोड़ा, सफैद झक कुड़तियों नै लठै री धोती पैरणनै। पगां में पानांळी पगरखी, ऊपर तांती, पागड़ो, हाथां में चांदी री माठिया, गळै में सोने रो फूल अर कानां में सांकळिया-मुरकियां घाल्योड़ी। ऊपरलै होठ माथै ऊगत मूंछा री काळी झांई।  फूठरौ रातो लाल चैहरो चिरमी नै भी लारै राखै। गळै में भरत भरियोड़ी पेसी उणरी सौकीनाई रा ऐळाण दे रैई ही। हिंयै कोड़ री लकीरां चैहरे ने चितराम देवती लखावै ही।
सगीजी आप री बैन सूं पूछियौ- होए बाई मानी, ठाकरै जी रै भळै कोई छौरो है? मानी बोली- ह्वै, बै अणदौ जी बैठा, बन्नड़ै रै लारै, बै सगा भाई है। छोटकी बैन अणदै नै देखते ई पास कर दिया अर काठी तैवड़ ली कै इनै तो दही हूंइज दैऊंला। इत्ति जैज कीरै खटै, साकळै आ बात ठाकरै कनै ई पूगगी, ठाकरै अणदै री सगाई री हांबल भर दीवी। सगाई रौ दस्तूर कियां पछै आगली आखातीज माथै अणदै रौ लाडां-कोडां सूं ब्यांव इ कर दीनो। उण री बिन्नणी मीरां फूटरी अर कूंत वाळी लुगाई ही। वैमाता जोड़ो जबरो बणायो। अणदौ काटी ताकत मांय भींयै पाण्डू जैड़ौ। होळी री खाळ री जीत सदीव अणदै कनै ई रैवती। चंग रो आछौ वजीन्दर, गैर रो पक्को कीमियो, अर लाह में पक्को भणतियों, अणदौ आपरौ सगळी जिग्या पैलौ नंबर इ राखतौ। कुशती रौ मायर, मल में बो कई मोट्यारों नै दिन में तारा बताय चूकौ हौ। ऐड़ौ ई गीतौं रो गावौ। अणदै रो मोट्यार गाळो अर गुवाड़ी रा चौखा दिन पड़ौसी जोधै ने न्हीं सुहवता। जोधौ अमल रो बंधाणी, मसखरो मिनख अनै चेला मूण्डण रो कारीगर। जोधै होळै-हौळै अणदै सूं बैलीपा घाल्या अर अमल री मनवार कर कैवतो- थौड़ोक हाथ आछौ कर लें। अणदौ गाढ में तीखो पण अकल लैण आळै टाणै जीमण नै ग्यो परो जिण सूं लारै रहग्यो। जौधे तिल सूं मूंग अर मूंग सूं ग्वार करतौ -करतौ अणदै रौ मावौ चिणै माथै लाय पूगायो। अणदौ रोज परभातै जौधे कनै जावै परो अर अमल लियां ही निरायंत वापरै। थौड़ाक दिनां में अणदै रो घर मायं ठा पड़ग्यो। एक बार जी सा ठाकरै समझायो- 
" अमल मत लै अणदिया, अमल लियां औगण होय।
अमल लियौ काकै कुंभजी, जांरी पागां रा वंज जोय ।। "
पण ऐ बातां अणदै नै खारी जहर लागै। उठीनै अणदै रै भारीगरौ खासो मोकळो बधग्यौ। मोटोड़ै भाई दैरामे उणनै बराबर री पांती कर न्यारौ कर दीनो। बंधाणी काम रो लोटो इ न्ही भरे, जीव कौरो अमल में इ रैवे। उणरी घर आळी मीरां बापड़ी इण बौझ सूं दबगी, चिंता-सोच घणो करै। बा रै निजरां सामी देखता थकां अणदौ अमली पीर कंडीर होग्यो। घर में भुआजी आय खुणै मिळग्या। अणदौ अमल सूं डोडां माथै आ आयग्यो। टाबर-टिंगर छोटा, काम धंधा ठप्प। अबै अणदै रै कुतियो कादै में बैठग्यो। मीरां बापड़ी मजुरी कर टाबर पाळण री कोसिस करै, अणदौ डाकी डोडां में टाबरां रौ दळियो पतळौ कर देवै। घर में अणदौ मान उत्तार होग्यो। एक दिन मीरां बोली हे! सांवरिया म्है थारा कांई काळा तिल खाया, जिणसूं म्हनै औ बंधाणी मिल्यो। थोथी थळियां में गाइजै क - 
       " थळ थोथा गोता घणा, ऊण्डौ अथाह नीर ।
      अमली बण्या उत्तावळा, हमै डौडा पीवै कंडीर ।। "
एक दिन अणदै रै सफा'ई डौडा खूटग्या। नसौ उत्तरयोड़ौ अणदौ गुडाळ में सूतौ अर घर आळा नै दड़ाछींट री गाळा काढै। उणरी नाड़ां तूटै अर पींडियां कुळै, जमीं दौळी फिरै अर बौ रड़ां करै। गाळ रै कड़कै साथै अणदौ घर आळी सूं बोल्यो- 'ऐ पाबूड़ै री मां, तूं बै घड़ै मांयला पचास रिपीया म्हनै दे, डोडा मंगाऊं।'  उणरी जोड़ायत मीरां बोली- 'बै पचास रिपीया म्हारी मां दिया हा, आं सूं तो हूं म्है दीयाळी माथै ग्वारणी आवेला जद नूंओ चूड़ौ पहरूला।'  अणदौ बोल्यो- ' म्है तो आज डोडा नीं पिया तो मर जाऊंला, तूं चूड़ौ कींरौ पैहरैला। म्हारै मरया पछै थारै पहरियोड़ियौ चूड़ो भी मिनख नीचो नखावैला। ईतौ सुणंतां ई मीरां रा गरब गळग्या, उणनै सोजी होयगी। उण झट पचास रिपीया देयनै पाबूड़ै नै ठेके मेल्यौ, लायनै डोडा'री गरणी भिगोई जितै तो अणदै डाळा नांख दिया। फटाफट गरणी पींच डोडा रौ पाणी मूंडै में नांयौ, थोड़ी देर सूं आंख्या खोली अर अणदै चाय मांगी। चाय पी अर चिलम रा दोय चार कस खींच्या। अणदौ पाछौ घोड़ै टांग होय गयो। इण दिन सूं मीरां रै मन में पूरो डर बैठग्यो क म्हारा कमाऊ डोडा बिना जी नी सकै उण दिन सूं ई अणदै रा पग घर सूं बारै निकलग्या, गांव में डुळतौ फिरै, कोई रियाण,रमाण, हथाई होवै कांग्रेस पांवणां-जमाई आवै तो अणदौ डोडा री आस में खोटै सिक्के ज्यूं हाजर मिळै। जमै जागण अर ब्याव बधावणै बौ बीना चावळ दीये'ई पूग ज्यावै। कौरो गरणी पींचै डौडा काढै अर पीवै। जै कोई मनवार करनै उणारै सामी अमलरी डब्बी या हथाळी आगे करै तौ चट कर दैवै। नसौ उत्तरयोड़ौ होवै तो तिंवाळी खावै। ऊग्वै पछै झैरां खावै, घर कम ई जावै। मैळ ऊं भरयौड़ो कुड़तियौ अर बट्टण खुल्यौड़ा, लीरलीर हुयौड़ो पोतियौ अनै ऊकड़-चूकड़ बांध्यौड़ी ढील़ी लांग पौत। फाट्टौड़ी पगरखी रा लिकत्तरा पैरयौड़ा चालै जणै लारै सूं धूड़ धिनबाद देवै। दो बट्टकी अर एक लोटो मां घाल्योड़ा मौरां माथै कपड़ै रो जून्नौ थैलो। झींफरी दाड़ी, आंख्या में गीड, नाक में झरतौ सेन्डौ अर बिना बुलाया मैमाण ऐ अणदै रा पक्का ऐळाण बणग्या। बौ दिन ऊगतै ई पगरियौ फैंके, जिण दिस पगरियौ सीधौ पड़ै, बौ ऊण दिस में ई सिधावै, पक्कौ सुगनी, डौडा रौ जुगाड़ इंया बैठावै। दीयाळी रै मौके माथै गांव रा मुखिया भैळा हौय समाज मांय अमल - डौडा री बंधी री बात चलाई तो रैयाण में ऊभौ होय नै अणदौ बोल्यो - थारौ बंधी आळौ समाज न्यारौ ठायलौ, म्हानै तो डौडा में धपा करण द्यौ। थारी आ बंधी री बात म्हनै खारी जैर ज्यूं लागै है। पूनमजी माड़साब कयौ - अणदा थनै म्है कौनी पालां, पण नूंआ खड़तीड्डा लागुड़ी लाय में पड़ै है, वानै रोकण सारूं, रैयाण में अमल-डौडा री डाकण मनवारां बंद करणी चावां हां। अणदौ सुण'र गौड़ा करतौ रह्यौ, अर डौडा आळी गरणी पींचतौ रह्यौ। सगळै गांव में अमल डौडा अर नसै री बंधी कर दीवी। जै कैई बंधी रौ काण-कायदौ तोड़्यौ तो समाज डंड भरावैला ऐड़ी घोषणां कर सगळा मौजूद मिनखा आपरा दस्खत कर बंधी पक्की कर दीवी। आड़लै-पाड़लै आळै गांवा में गांव री प्रेरणा अर चरचा चालण लागी। ब्याव, सावै, मरणै-परणै, रैवण-रूपाण बंधी लागू हौयगी। अणदै कई दिनं तांई पींडियां बांधी, भुगत्यौ अर मावौ घटावण री कोसिस कीवी उणमें थौड़ौ'क राम बापरग्यो अर टिपा दैवणा बंद कर दीन्हा। होळी री रैंयाण-हथाई में अणदौ आयो अर सबसूं पैला बोल्यो- माड़साब जी थै तो न्याल कर दीन्हा, पैला म्हूं रैवण-रूपांण जावतौ तो मिनख मनै रामासामा सारूं हाथ नीं देवंता अर कैवता अणदौ डोडा सारूं आवे। अबै म्है जांऊ जणै बैलीड़ा बाध घात नै मिळै अर दैख्या राजी होवै। म्हारौ मानखौ जीवतो होयग्यो, पैला तो ऊग्यौ अर आध्यै रौ ठा कोनी पड़तौ पण अबै तो दो किलो में ई महीनों काढ़ लूं। मोफ्त रा मिळणां बंद होयग्या अर भुगतणौ मिटग्यौ। अबै घर आळा ई म्हारौ मन राखै है। म्हारौ'ई घर मांय मन लागै। म्हनै जौधै री कुवदाई अर बंधी रौ फायदौ दोनों ई बातां समझ में आयगी है। अब म्है मावौ कम करण री कोसिस करूंला अर इण कीड़ी नगरै मांय दूजौ किनैई नीं डुबौऊंला। 
  "अमल, तंम्बाकू, डौडा अर सब नसै सूं अळगा रहियो आप ।
 ' रावत ' जीवड़ा ! मनवारां सूं छैटी रैहणौ, सूखी जीवन रो जाप ।। "




-✍🏻 फौजी साहब... सूबेदार रावत गर्ग उण्डू 
( सहायक उपानिरीक्षक -रक्षा सेवाऐं भारतीय थल सेना  और स्वतंत्र लेखक, रचनाकार, साहित्य प्रेमी, आकाशवाणी श्रोता )

निवास - 'श्री हरि विष्णु कृपा भवन '
ग्राम - श्री गर्गवास राजबेरा,
पोस्ट ऑफिस - ऊण्डू
तहसील उपखंड - शिव,
जिला - बाड़मेर 
पिन कोड - 344701 राजस्थान ।

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