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आजादी पर कविता Aajadi par kavita

आजादी पर कविता 



ना जाने कितने झूले फांसी पर 
 कितनो ने गोली खाई थी ।
 पर झूठ , देश से बोला कोरा 
 कि चरखे से आजादी आयी थी । । 
चरखा हर पल खामोश रहा 
 ओर अंत देश को बांट दिया । 
लाखो बे - घर , लाखो मर गए ,
 जब गांधी ने बंदर बांट किया । ।
 जिन्ना के हिस्से पाक गया 
 नेहरू को हिंदुस्तान मिला । 
जो जान लुटा गए भारत पर 
 उन्हें कुछ ना सम्मान मिला । ।
 जो देश के लिए जिये मरे 
ओर फांसी के फंदे पर झूल गए ।
 हमे गांधी , नेहरू तो याद रहे , 
पर अमर पुरोधा हम भूल गए । ।
सड़ती रही लाशें सड़कों पर,
गांधी फिर भी मोंन था 
और हमें पढ़ाया जाता है,
 के चरखे से आजादी आयी थी,।
तो फिर फांसी पर झूले वो
तीन , जवान कौन थे ।।

वो रस्सी आज भी रखी है 
जिससे गांधीजी, बकरी बांधा करते थे ।
पर वो , रस्सी कहां गई
जिससे भगत सिंह , सुखदेव , राजगुरु
हंसते-हंसते झूल गए थे ।।

 इन्कलाब जिंदाबाद ,,,,, 
" राष्ट्रीय पुत्र भगत सिंह जिन्दाबाद "
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Op Merotha hadoti Kavi
Mob: 8875213775
छबड़ा जिला बारां ( राज०)

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