कोरोना नहीं मानवता फैलाओ
राहों में सन्नाटा पसरा
जीवन में आया संकट गहरा
हर ओर विनाश मचा दिखता
मानव फिर भी तू न संभला
सकल धरा व्याकुल अकुलाती
पर मानव सम्भाल रहा जाति
भूखों की भूख भोजन से जाती
दीन भला क्या करेगा जाति
हिय का जो कामना पुंज है
कायरतापूर्ण ज्वलंत सिंधु है
जिसके आगे मानवता छुद्र है
उसका तत्काल नाश ही रुद्र है
कर जोड़ विप्र सहयोगी बने
तस्वीर खींच न निर्मोही बने
संकट में खुद कर्मयोगी बने
न व्यसन में अंधे भोगी बने
छलछद्दम से मत रोग बढ़ाओ
मानव हो मानव हित काम आओ
कोरोना का विष जन जन से मिटाओ
हाथ नहीं मन से मन जोड़ो मिलाओ
स्वरचित
नेहा शुक्ला
डी० एल ०एड० छात्रा
शुक्लागंज (उन्नाव)
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