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निरीक्षण करने निकले जंगल के राजा nirikshan karane nikale jangal ke raja

वन से निकल सड़कों पर घूमने वाले पशुओं पर लिखी गई मेरी यह रचना।


निरीक्षण करने निकले जंगल के राजा##


वे देखो निरीक्षण करने निकले जंगल के राजा
भालू भेड़ बकरी से कहा, कहो सबको आजा।

अपना ही है हर दिशा हर ओर राज
इंसान छुपा गया  है कहीं दूर आज।

जिससे छुपे फिरते थे  हम सबआज तक
छिप गया है कहीं, नहीं दिख रहा दूर तक।

हाथियों का झुंड भी दौड़ा चला आया
रास्ते में नहीं दिख रहा, क्यों इंसान का साया।

कुत्ते बिल्ली भी हुए सोचने पर मजबूर
हमे करनी चाहिए, उनकी मदद जरूर।

लोमड़ी को जासूस बना भेजा बाजार
उल्लू और चमगादड़ का है करा धरा, सरकार।

यह देख सब पशु पक्षी हो गए हैरान
आप तो हमारी मुट्ठी में है, इंसान की जान।

बहुत था अपनी शक्ति पर इसे गुरुर
बासी रोटी था खिलाता, रहके हम से दूर दूर।

कुत्ता बोला इंसान नहीं ऐसी सजा का हकदार
देखो हो गई है कम रौनकें, हर चोराहे बाज़ार।

तभी  दिखे हिरण खुशी से दौड़ते हुए आए
ना डर किसी का आज, ना कोई सता पाए।

मुर्गे_ मुर्गियां भी आज  खुश थे  बहुत
बने हुए थे हम इंसान के खाने के स्त्रोत।

अंडे ने कहा जन्म लेने से पहले जाता था मार
पिंजरे में बंद करने वालों का हो रहा सहांर।

हम तो क्या हमारी बहनें भी ना थी सुरक्षित
इंसानों ने कर रखा था उन्हें दिन के उजाले में असुरक्षित।

दिन के उजाले में भी ढलता था उन पर कहर
रात की बात ही क्या कहें, होता था भारी हर पहर।

कुत्ते ने फिर भी इंसानों के हक की, की वकालत
जज बने जंगल के शेर, सज गई जंगल में अदालत।

इंसानों से ही सजते  हैं, यह नगर, यह शहर
इंसान ही ना रहेंगे तो देखते, मारेंगे किसे  दहाड़।

कल्पना गुप्ता/ रतन

परिचय

नाम_कल्पना गुप्ता सीनियर लेक्चरर
कलमी नाम_कल्पना गुप्ता/ रतन
जन्मतिथि--04-05-1965
जन्म स्थान--भद्रवाह (जम्मू एंड कश्मीर)
पता_1/134 विकास नगर सरवाल शिव मंदिर के सामने जम्मू
जम्मू कश्मीर

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