प्रभु! बुला रही है राधा,आकर दूर करो कोरोना भरी बाधा !
सुन राधा,सुन ,
कृष्ण-कृष्ण कहते बची ही है तेरी आधा खून !
वह कैसे स्थिर रह सकते, तीनों लोक चलाते,
उनमें है ज्यादा गुण ,
हम क्या कहूं रोशन प्रभु के बारे में सुन राधा सुन !
कृष्ण-कृष्ण कहते बची ही है तेरी आधा खून !
वह कैसे स्थिर रह सकते, तीनों लोक चलाते,
उनमें है ज्यादा गुण ,
हम क्या कहूं रोशन प्रभु के बारे में सुन राधा सुन !
कहीं बजाते होंगे बाँसुरी ,
भक्तों से मिलने के लिए कम करते होंगे दूरी !
हे राधा क्यों कहती हो कि मेरी भाग्य में विधाता प्रेम ही लिखें होंगे अधूरी ,
न, न .. राधा ! , आयेंगे प्रभु और तुम्हारी इच्छा होंगे पूरी !
भक्तों से मिलने के लिए कम करते होंगे दूरी !
हे राधा क्यों कहती हो कि मेरी भाग्य में विधाता प्रेम ही लिखें होंगे अधूरी ,
न, न .. राधा ! , आयेंगे प्रभु और तुम्हारी इच्छा होंगे पूरी !
आते ही होंगे राह में मिल गये होंगे भक्तगण और गोपियां ,
और मिलें होंगे नारद मुखिया !
धर्म-कर्म पूजा पाठ व सबके खुशी में ही है प्रभु की खुशियां !
आप से मिलने प्रभु आते ही होंगे
क्यों समझती हो राधा अपने आप को दुखिया ,
और मिलें होंगे नारद मुखिया !
धर्म-कर्म पूजा पाठ व सबके खुशी में ही है प्रभु की खुशियां !
आप से मिलने प्रभु आते ही होंगे
क्यों समझती हो राधा अपने आप को दुखिया ,
आपकी ही नहीं दुनिया को करते आनंद और हटाते हैं पीड़ा ,
अध्दभुत है आपका प्रभु की लीला ,
हम रोशन क्या ? कहें भक्त विद्यापति,सुर और मीरा !
तो प्रभु आओ और हटाओ दुनिया से कोरोना , क्योंकि
तड़प रहें हैं गांव,घर और जिला !
अध्दभुत है आपका प्रभु की लीला ,
हम रोशन क्या ? कहें भक्त विद्यापति,सुर और मीरा !
तो प्रभु आओ और हटाओ दुनिया से कोरोना , क्योंकि
तड़प रहें हैं गांव,घर और जिला !
रचनाकार
रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज ,
कोलकाता (बंगाल)
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