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रशीद ग़ौरी... लघुकथा पीड़ित Laghukatha pidit

       पीड़ित 


      सड़क से गुजर रहे मोटर साइकिल सवार दो पुलिस के जवानों ने  उस वीरान सड़क पर एक तन्हा जीव को वहां से विचरण करते हुए देखा तो उन्होंनें तत्काल गाड़ी रोक दी।

     ' अबे... कहां जा रहा है... कहां से आया...और...इस  थैली में...? ' 

     जवाब में, उसने सामने वाली शान से खड़ी उस बहुमंजिला इमारत की ओर इशारा किया। उसका इशारा पूरा होता उससे पहले ही, उस भूखे और सूखे हुए कमजोर आदमी की टांगों पर कानून के उल्लंघन में डंडे बरस गए। वह पीड़ा से बिलबिला उठा। इसी बीच हाथ में मजबूती से पकड़ी हुई थैली गिर पड़ी। और... उस बिल्डिंग के कचरा पात्र में से बीन कर लाए दो चार फल, दो कच्चे आलू, एक टमाटर और दो सूखी रोटियां उस सूनी सड़क पर खनखन करती हुई बिखर गई। रोटियां बिल्डिंग के चौकीदार ने दी थी। 

     उसे, जल्दी से अपने घर जाने की सख्त  हिदायत देते हुए वे पुलिस वाले आगे बढ़ गये। 

      भूख के वायरस से पीड़ित वह गरीब आदमी,  सड़क पर बिखरे अपने कीमती सामान को जल्दी-जल्दी समेटने में लग गया। 
                          .....
- रशीद ग़ौरी, सोजत सिटी।
- मौलिक- अप्रकाशित।

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