पुस्तक
अनजानी अनसुलझी परतों को खोलती हैं पुस्तकें
हर कठिन डगर में बन प्रदर्शक बोलती हैं पुस्तकें
सींचती हैं,अंकुरित करती, करती प्लवित उनको सदा
गढ़कर नई प्रतिभाएं उनके संसार खोलती पुस्तकें।
ये हमें बीते हमारे कल दिखाती हैं
आचरण सम्मान की गाथा सिखाती हैं
सूर कबीर तुलसी बिहारी मैथिली नागार्जुन
महान कवियों की कलम ये हमें दिखाती हैं।
ये देशभक्ति का हमें नित पाठ पढ़ाती हैं
आजाद भगत सुभाष का त्याग बताती हैं
तंत्र भटका जब कभी राज्य देश या विश्व का
स्थिति संभाली है कलम ने राज बताती हैं।
नीरज कुमार द्विवेदी
बस्ती-उत्तरप्रदेश
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