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महिला काव्य मंच (लखनऊ) उत्तर प्रदेश

 महिला काव्य मंच (रजि.) उत्तर प्रदेश (मध्य) की लखनऊ


महिला काव्य मंच (रजि.) उत्तर प्रदेश (मध्य) की लखनऊ इकाई की मासिक काव्य गोष्ठी ओनलाइन गूगल मीट पर आज दिनांक 25.6.2021को डॉ रीना श्रीवास्तव जी की अध्यक्षता एवं संयोजकत्व में संपन्न हुई। गोष्ठी की मुख्य अतिथि रहीं डॉ राजेश कुमारी (अध्यक्ष , महिला काव्य मंच, उत्तर प्रदेश इकाई,मध्य ) तथा विशिष्ट अतिथि रहीं डॉ उषा चौधरी (महासचिव, महिला काव्य मंच उत्तर प्रदेश इकाई, मध्य)। कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ दिव्यांशी जी की सरस्वती वंदना से। प्रांतीय अध्यक्ष डॉ राजेश कुमारी जी ने इस अवसर पर कहा कि इस कोरोना काल में महिला काव्य मंच की कवयित्रियों ने निश्चय ही अपनी कविताओं से समाज में सकारात्मकता का संचार किया है। विशिष्ट अतिथि डॉ उषा चौधरी ने अपनी कविता "रचिए विधि रचना राममय "से वातावरण राममय बना दिया।




कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए क्रमशः निम्नलिखित कवयित्रियों ने काव्य पाठ किया -डॉ सुधा मिश्रा जी - "प्यार नहीं था हमसे,फिर भी जताते तो कोई बात थी।", डॉ अनुराधा पांडेय जी -"तुम तो एक श्रमिक हो, एक खटिया एक बिछौना, एक टुकड़ा अंबर का।", श्रीमती साधना मिश्रा जी -"एक चिट्ठी पापा के नाम।", श्रीमती बीना श्रीवास्तव -"माथे पे सजा के तेरे नाम की बिंदिया, उड़ा दूंगी साजन तेरे आंखों की निंदिया।", डॉ कीर्ति श्रीवास्तव जी -"बेटियां तो प्यारी होती ही हैं।", श्रीमती मनीषा श्रीवास्तव जी -"कुछ बादल भी हैं जो बरसते नहीं", सुश्री अंजू अंजू जी - "कहां आता है कोई जाने के बाद, झूठे वादों का गुंबद बसाए रखिए।", सुश्री दिव्यांशी शुक्ला जी -"परिचय हर बार बदलता है।", श्रीमती स्नेहलता जी -"योग से मिलता है आरोग्य/योग कर बन जाते हैं सुयोग्य।", श्रीमती शिखा श्रीवस्तव जी -"कभी प्यार इतना बेशुमार, जो दिल में मेरे वो जुबां पे तेरे आ जाए।", डॉ अर्चना सिंह -"वसुंधरा की कहानी हूं मैं।", डॉ शोभा त्रिपाठी जी -"हिज्र में गालों की ये सुर्खी गई आंखों तलक/और गालों पर चली आंखों की कजराई गई।", डॉ कालिंदी पाण्डेय जी -"कभी ख्वाब बनकर कभी किताब बनकर", श्रीमती पूनम सिंह जी -"सपने बुन रही थी मैं/आसमां में उड़ने के।", श्रीमती पूजा कश्यप -"सशक्त तो मैं जन्म से ही थी फिर तुम सबने मिलकर मुझे अशक्त बनाया क्यों।", डॉ रेखा गुप्ता जी -"मीत बनो तुम जिंदगी में, प्यार ये दिल करेगा जिंदगी में।", श्रीमती अर्चना पाल जी -"बेटी भी तो मां का रूप है .... तो बेटा ही क्यों।", सुश्री जूली सिंह -"चलो क्यों न कुछ लिखा जाए, कागजों पर मन के शब्द क्यों न उकेरा जाय।"और अंत में डॉ राजेश कुमारी ने ' पिता' आधारित कविता" जन्म दिया है जिसने हमको"सुनाया। कार्यक्रम का अत्यंत प्रभावी और शानदार संचालन करते हुए स्वयं डॉ रीना श्रीवास्तव जी ने भी प्रौढ़ शिक्षा को प्रेरित करती कविता पढ़ी-"पढ़ने पढ़ाने का न उम्र से नाता है/जब चाहे पढ़ो अज्ञान भाग जाता है।"
इस अवसर पर महिला काव्य मंच लखनऊ की महासचिव डॉ रंजीत कौर जी ने भी अपना भावपूर्ण संदेश दिया। इस प्रकार काव्य गोष्ठी में किसी ने प्रेम का गीत सुनाया तो किसी ने वात्सल्य रस का। किसी ने जिंदगी वास्तविकता बयां की तो किसी ने शिकायतें दर्ज कराया। संपूर्ण गोष्ठी विविधतापूर्ण रही। अंत में अध्यक्ष डॉ रीना श्रीवास्तव जी ने सभी कवयित्रियों का आभार व्यक्त करते हुए "सर्वे भवन्तु सुखिना, सर्वे संतु निरामया"से कार्यक्रम को विराम दिया।
डॉ रीना श्रीवास्तव
अध्यक्ष, महिला काव्य मंच लखनऊ

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