लोकतंत्र में मीडिया की निर्भीकता के सार्थक परिणाम
आधुनिक डिजिटल युग में मीडिया की सक्रियता बढ़ रही है ।लोकतंत्र का प्रमुख स्तम्भ बना यह क्षेत्र बहुत विशाल है।जहाँ सच्चाई की गहराई से हम लोग रूबरू होते है ।देश विदेश की हर गतिविधियों से हमें जानकारी प्राप्त होती है।आज यह सभी के लिए जरूरी और जीवन का अहम हिस्सा बन गया है । इसलिए मीडिया को सच्चाई के पथ पर चलना लाजिमी है। विगत कुछ वर्षो में इसके भी कई टुकडो में बँटते हुए देखना थोड़ी मायूसी उत्पन्न कर गया।जहाँ एक ओर सच और सार्थक समाचारों का संग्रह है वही दूसरी ओर झूठ और नकारात्मक खबरों का संग्रह जो विरोधाभासी भावनाएँ उत्पन्न करती है और लोगों को भी बाँटती नजर आती है ।
मीडिया का सच और सुरक्षित खबरों से समाज को रूबरू कराना एक सच्ची व्यवस्था मानी जाती है। जिस पर लोग विश्वास कर सके और समाज में किसी प्रकार का आक्रोश न फैले। विगत वर्षो की कुछ घटनाओं का जिक्र करे तो निर्भया कांड, जिसमें बलात्कारियों की फांसी की मांग पर दो घडा में बँटते देखा, देश की सुरक्षा के मसले पर बँटते देखा और मौजूदा प्रकरण सुशांत केस में भी वही ब॔टती हुई घरा प्रदर्शित हुई है।
आज सच्ची मीडिया के बदौलत ही तमाम तरह के राज से धीरे धीरे पर्दा उठने लगी है।ड्रग्स और नशा के कारोबार कर अपना सिक्का जमाने वाले नकाबपोशियो के नकाब उतरना शूरू हुआ है।आखिर ऐसे संगीन तथ्यो को कोई भी प्रशासन कैसे छिपा सकता है? यह लोकतंत्रीय सरकार के लिए चिंता का विषय है। जहाँ फर्ज को ताक पर रखकर लीपापोती की जाय।आज यदि मीडिया का डर समाप्त हो जाय तो कल्पना कीजिए क्या स्थिति होगी?
वालीवुड के कई हस्तियों की मौत आज भी रहस्य ही बना हुआ है परवीन बाॅबी, दिव्या भारती, श्रीदेवी और अब सुशांत आखिर कब तक यह खेल चलता रहेगा यह आत्म हत्या का खेल? लेकिन कातिल अब ज्यादा दूर नहीं क्योकि इस बार वह यह भूल चुका था कि उसके हाथ का मोबाइल है जो उसके लोकेशन और गतिविधियाँ नोट कर रहा है उसने तमाम कोशिशे की मिटाने की लेकिन यह आधुनिक और सुदृढ व्यवस्था है। जिसमें आप कुछ दिनो के लिए चमका दे सकते है, पर बच नही सकते ।जैसा कि जाँच एजेंसियों ने खंगालकर साबित किया है।वो गर्दन अब दूर नही जिसने भी जघन्य अपराध किये है ।
आज का भारत एक उभरती हुई शक्ति है और हम सब उसके अंग इसलिए सभी को अपने कर्तव्य निभाने होंगे जो कर्तव्य नही निभा रहे और सिर्फ सत्ता की चापलूसी कर रहे उन्हें वर्खास्त करने होंगे।अब तो यह पूरी तरह से सावित होने को है कि यह 67 दिनो तक जाँच केवल बचाने के लिए था तो क्या जाँच कर रहे लोगों पर दंडात्मक कार्रवाई और वर्खास्त की उम्मीद तो जनता करेगी जो एक स्पष्ट संदेश होगा भ्रष्ट और चापलूसो को ताकि फिर कोई ऐसी घिनौनी जाँच न कर सके।
आशुतोष
पटना बिहार
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