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माँ ममता भरी मूरत है maa ki mamta


विधा-   सवैया छंद

मां ममताभरि मूरत है 

मां ममताभरि, मूरत है करि, लालन-पालन,  गोद भरे।
मां अपना सुख छोड़ सहे, दु:ख प्रेम भरे सुख बाल धरे।
अंक भरे दस माह सहे कुल, दीप लिए मन हर्ष भरे।
मां ललना सुत, की पलना, जग सार रही मन प्रेम धरे।
देव मुनीजन देख मही पर, मां ममता जग कीर्ति करे।
मां शिशु की जननी बनके, उपहार दिए घर, दीप्ति करे।
है सबकी अपनी जननी, सुखदायिनि मां सब कष्ट हरे।
मां जग को सुख पावन पाकर, सावन की बरसात करें।।
🍁मां को कोटि-कोटि नमन🍁
डॉ० धाराबल्लभ पांडेय 'आलोक' 29, लक्ष्मी निवास, कर्नाटक पुरम, मौके, अल्मोड़ा, उत्तराखंड, भारत।
मो०न० 94107 00432

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