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प्रेम एक अनुभूति...Prem ek anubhooti


विधा – कविता 

शीर्षक– ‘प्रेम एक अनुभूति’

“ मन की व्याकुलता को 
  जो नहीं छिपा पाता है
  वह हैं प्रेम ।
 अपशब्द सुनकर भी 
 कदम ठहरे रहे वह हैं 
 आत्मिक प्रेम ।
 वाणी की कटुता से
हृदय आह्लादित न हो 
वह हैं प्रेम ।
सौम्य वाणी की एक ध्वनि मात्र से
बेतहाशा सुख  की अनुभूति हो
वह हैं प्रेम।
वर्षों की प्रतीक्षा में 
वियोगरत होकर भी
उम्मीद स्थिर हो
वह हैं प्रेम।
शब्द न हो मिलन पर
आंखे सजल हो
छू न सके कोई उस 
आलौकिक मिलन को
वह हैं प्रेम ।” 

लेखिका – रेशमा त्रिपाठी 
प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश।

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