शीर्षक :- मैं मजदूर हूँ
पता है मुझे
मैं मजदूर हूँ....
अंगारे बरसाती जेठ की दुपहरी में,
तपती धूप में
पसीने से तरबतर शरीर
फिर भी लगा रहता हूँ
काम पर
अपने पेट के लिए
पता है मुझे
मैं मजदूर हूँ
दूसरों के घर बनाता हूँ
खुद का घर चलाने के लिए
कभी कभी आपदा भी टूट पड़ती है मेरे छप्पर उड़ाने को
फिर भी नियति पर भरोसा रखता हूँ
पता है मुझे
मैं मजदूर हूँ
दुनियादारी करनी आती नही मुझे
इसलिए
लगा रहता हूं
अपने काम में
काम से काम रखता हूँ
पता है मुझे कुछ किये बिना
देता नही कोई यहाँ
दो वक्त की रोटियां,
सुबह का कलेवा
पता है मुझे
मैं मजदूर हूँ
पूरी जिंदगी खफ़ा देता हूँ काम में
फिर भी थकने का नाम नही
क्यों लूं थकने का नाम
कौन देगा सहारा
किसको सुनाए अपना दुखड़ा
कौन सुनने वाला
कोई नही
एक परमात्मा के सिवाय अपना यहाँ
पता है मुझे
मैं मजदूर हूँ
जब तक काम करता हूं
तब तक लोग याद करते है
जब हाथ पैर चलने बन्द हो जाएंगे
तब पूछेगा नही मुझे कोई
मेरा हालचाल भी
मुझे पता है
मैं मजदूर हूँ
🙏
ReplyDeleteVery nice sir आपने मजदूरों की मेहनत पर प्रकाश डाला।
ReplyDeleteथैंक्स हुक्म
DeleteWelcome 💐💐
ReplyDeleteथैंक्स सर जी
Deleteवाह! शानदार
ReplyDeleteशानदार नपसा
ReplyDelete