सुनहरा बचपन
फूलों का खिलना ,तितली पकड़ना
बचपन की यादों का फिर से सँवरना
परियों के किस्से , गुडियों की ङोली
सखियों के संग आँख मिचौली
जाङे का मौसम , भीनी सी मिट्टी
पड़ौसी के आँगन में अल्हड़ सी मस्ती
फूलों की चादर , ओंस का बिछौना
नन्ही सी चाहत का अम्बर पे उड़ना
अधूरे से सपने , अधूरी सी ख्वाहिश
सच्चे से साथी का मुझसे बिछुड़ना
सांझ और सवेरा , पक्षियों का ङेरा
चंचल हवाओं में शरारतों का बसेरा
बचपन की यादों का फिर से सँवरना।
- आरीनिता पांचाल
कोटा
Very very interesting poem of childhood memories
ReplyDeleteLovely poem mam
ReplyDeleteNyc
ReplyDeletewords from the heart...good keep it up .
ReplyDeleteBahut hi sandar di nice poem di
ReplyDeleteGreat poem
ReplyDeleteNice poem di
ReplyDeleteBahut hi sandar
From Lokesh Sharma.
😃Nice poem😄
ReplyDeleteBahut bdiya Arinita panchal Mami g
ReplyDeleteKya bat he. Great linesss
ReplyDeleteHard touching
ReplyDeleteWonderfully expressed
ReplyDeleteBehtreen poem
ReplyDeleteGreat good
ReplyDeleteWow
ReplyDeleteWounfeefull
ReplyDeleteKya baat h
ReplyDeleteExcellent
ReplyDeleteHeart torching
ReplyDeleteBachpan yadd aa gya
ReplyDeleteGood keep it up
ReplyDeleteNice line
ReplyDeleteVery lovey & sweet
ReplyDeleteसुंदर रचना
ReplyDeleteउत्कृष्ट रचना
ReplyDeleteअति सुंदर रचना
ReplyDeletePk saini