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सुनहरा बचपन

सुनहरा बचपन 


फूलों का खिलना  ,तितली पकड़ना
  बचपन की यादों का फिर से सँवरना

परियों के किस्से  , गुडियों की ङोली
 सखियों के संग आँख मिचौली
जाङे का मौसम  , भीनी सी मिट्टी
पड़ौसी के आँगन में अल्हड़ सी मस्ती
 फूलों की चादर , ओंस का बिछौना
नन्ही सी चाहत का अम्बर पे उड़ना
 अधूरे से सपने  , अधूरी सी ख्वाहिश
 सच्चे से साथी का मुझसे बिछुड़ना
 सांझ और सवेरा  , पक्षियों का ङेरा
 चंचल हवाओं में शरारतों का बसेरा 
बचपन की यादों का फिर से सँवरना।
         
              -   आरीनिता पांचाल
                       कोटा

26 comments:

  1. Very very interesting poem of childhood memories

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  2. words from the heart...good keep it up .

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  3. Bahut hi sandar di nice poem di

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  4. Nice poem di
    Bahut hi sandar
    From Lokesh Sharma.

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  5. Bahut bdiya Arinita panchal Mami g

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  6. Hard touching

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  7. Heart torching

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  8. Bachpan yadd aa gya

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  9. Good keep it up

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  10. Very lovey & sweet

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  11. सुंदर रचना

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  12. उत्कृष्ट रचना

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  13. अति सुंदर रचना
    Pk saini

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