कलम लाइव पत्रिका

ईमेल:- kalamlivepatrika@gmail.com

Sponsor

तुझे कोख में कैसे मार दूं ... Tujhe kokh me kaise mar du..

तेरी मुस्कुराहटों पर जिंदगी अपनी वार दूं
अपनी सारी खुशियाँ दे कर जीवन तेरा सवार दूं
तू कहे तो चाँद तारे तेरे सजदे में उतार दूं
तू गर्व है मेरा, अभिमान है मेरा
तुझे कोख में कैसे मार दूं, तुझे कोख में कैसे मार दूं

मनाते होंगे लोग लाखों खुशियां बेटे के होने पर
तो क्यों आज भीड़ है वृद्धआश्रमो में बेटों के होने पर

बेटों से होती होगी रोशनी घर मे पर,
 बेटियों से भी तो घर की शान है
बेटे होंगे दिल की धड़कन पर बेटीया भी तो जान है
न मिला मुझे मेरे होने पर
उससे कई ज्यादा तुझे  मैं प्यार दूं
तू घमंड है मेरा, गुरुर है मेरा 
तुझे कोख में कैसे मार दूं,  तुझे कोख में कैसे मार दूं।

खुशी मत पूछ मुझसे पर मैं थोड़ी सी उदास हूँ
हालात समाज की देख कर मैं थोड़ी सी हताश हूं
पर हां तुझे मैं औरों सा न दुर्बल बनाउंगी
ले सके फैसले खुदके उस काबिल बनाउंगी
तू छुए आसमाँ हाथों से अपने
कर सके पूरे तू अपने सारे सपने
लगे नज़र न तुझको आ तेरी मैं नजरें उतार दूं
तू गर्व है मेरा, अभिमान है मेरा 
तुझे कोख में कैसे मार दूं , तुझे कोख में कैसे मार दूं ।
                 आशुतोष मिश्रा
                    दिल्ली

18 comments:

  1. अतुलनीय 👌

    ReplyDelete
  2. अस्मर्णीय अप्रतिम

    ReplyDelete
  3. Nice for first attempt, keep it up!

    ReplyDelete
  4. अत्यंत मार्मिक 👌👌

    ReplyDelete
  5. बेहतरीन ❤️

    ReplyDelete