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संभाल कर रखना होगा’... Sambhal kar chalana hoga

संभाल कर रखना होगा


“ अधेरी रातों में सम्भल कर चलना होगा 

यह बाजारू डुगडुगी हैं सम्हालकर रखना होगा

बन्धु सुनो !बन्धु सुनो! सुबह से शाम तक मत करना

यह बाजारू डुगडुगी हैं सम्भल कर चलना होगा ।


झूठ की गुदगुदी में 

सच सम्हालकर रखना होगा 

सियासत कैसे भी  हो पर 

राजा पर तंज कसना होगा

यह बाजारू डुगडुगी हैं सम्भल कर चलना होगा ।


इस औषधि रूपी जीवन में

रफ्तार सम्हालकर चलना होगा

आचार विचार की हजारों दुहाई में

उन्माद सम्हालकर रखना होगा 

यह बाजारू डुगडुगी हैं सम्भल कर चलना होगा ।


टेलीविजन के शोर को 

टीआरपी से संभालना होगा

इंसानियत खत्म होने को है

इस स्वर्णिम दृश्य को सम्हालकर रखना होगा 

यह बाजारू डुगडुगी हैं सम्भल कर अब चलना होगा।।"


रेशमा त्रिपाठी 

प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश


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