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दीपावली से यह रिवाज़ भी चलाया जाए

   ग़ज़ल

दीपावली कुछ इस तरह मनाया जाए
कुरीतियों को समूल ही  जलाया जाए  

बहुत बार मिल चुके भगवान्,भक्त से
इंसानों को भी  इंसान से मिलाया जाए

नहीं जगमगाए केवल महल और मीनारें
झुग्गी-झोपड़ियों को भी रौशनी दिलाया जाए

कड़वाहटें कम करें और केवल खुशियां बाँटें
भूखे पेटों को भी थोड़ा खाना खिलाया  जाए  

दीपावली हरेक की हो,न कोई बैर,न कोई गैर
इस दीपावली से यह रिवाज़ भी चलाया जाए

सलिल सरोज
कार्यकारी अधिकारी
लोक सभा सचिवालय
संसद भवन,नई दिल्ली 

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