सफलता और तरक्की के लिए सद्व्यवहार जरूरी
जिन्दगी जीने के लिए हर तरह की स्थिति व परिस्थिति का सामना करना पड़ता हैं। कठिन परिश्रम व मेहनत से ही सफलता को प्राप्त किया जा सकता हैं। जिन्दगी में जीने के लिए पैसा का होना बहुत जरूरी हैं। जिनकी आर्थिक स्थिति कमजोर होती है उनकी आज के समाज में कोई पहचान या प्रतिष्ठा नहीं हैं। वैसे एक कहावत का भाव इस प्रकार है कि- ' निर्धन नाम का, परसया, कुछ बनने के बाद परसराम, और प्रतिष्ठित होने के बाद परसराम जी। ' लेकिन प्यारे मित्रों इस स्थिति तक पहुंचने के लिए जो सबसे ज्यादा जरूरी है, वो हैं आपका सद्व्यवहार, काम करनें और उसमें आगे बढ़ने की लगन। और इसमे भी समय को समझकर, देखकर चलना जरूरी हैं। यह सब संभव है, अगर आप शांत मन से अगला पिछला सोचते हुए समझते हुए काम करेंगे और उसमें भी अपना नफा-नुकसान सोचकर आगे की और अग्रसर होंगे । कभी कभी काम में आए हुए नुकसान को देखकर आदमी क्रोधित हो जाता है और अपनी गलती दूसरों पर थोपता हैं। यह एकदम गलत है, अपनी गलती को खुद सुधारना चाहिये और आगे बढ़ना चाहिए इसमे भी आपका सद्व्यवहार होना जरूरी हैं। सद्व्यवहार और शांतचित आदमी सबके दिल जीत सकता हैं सबको अपना बनाकर नुकसान को भी नफे में परिवर्तित कर देता हैं। जबकि अहमी भाव या संकुचित वृत्ति का आदमी अपने नुकसान में ही डूब जाता हैं। मैंने ऐसे कई व्यापारी व पेशे वर्ग देखे है जिन्होंने नुकसान खाकर सीधे तल पर जाकर भी अपने सद्व्यवहार से व्यापार को नई ऊंचाई दी और आगे बढ़ाकर आज अग्र श्रेणी में हैं। यह देन है उनकी शान्त मन से अपने व्यापार को आगे बढ़ाने की क्षमता की ।
वैसे एक कहावत है कि - ' लाभ-हानि, जन्म-मरण या पारिवारिक सुख ये सब प्रभु के हाथ हैं और मानव के हाथ हैं उस प्रभु का शांत चित से स्मरण 'इससे मत चूको स्वछ आत्मा से हरि स्मरण के साथ कार्यके प्रति भी लगन होना ही उसकी सफलता का परिचायक हैं।
आप सद्व्यवहारी रहोगे तो सब संभव हैं - तरक्की, प्रतिष्ठा, घर का, समाज का सुख। अगर आपके पास केवल पैसा धन दौलत है बाकी कुछ नहीं है तो आप भले ही पैसे या धन के बल पर इठलायें पर आपका मन शांत नहीं रह सकेगा । लोग मुंहपर भले ही हजूरी कर लें होगें आपके विपक्षी ही। इसलिए दोस्तों जीवन में सद्व्यवहार का होना बहुत जरूरी हैं । सद्व्यवहारी बनों और याद रखो जो लोग पैसे के, व्यापार के बल पर इठलाते हैं बाकी कुछ नहीं समझते हैं उनका भविष्य मानो अंधकारमय होकर गुजर रहा है और अंतिम छोर पर स्थित हैं। जबकि मीठा मृदुभाषी बोलने वाला, सद्व्यवहारी एवं लगन पूर्वक करने वाले व्यक्ति का भविष्य साफ सुथरा और उज्ज्वल होता हैं।
सदैव यह प्रार्थना करें कि- ' हे प्रभु! आनंद दाता, ज्ञान मुझको दीजिये । लीजिए शरण में मुझे, मैं सदाचारी बनूं। ' आप अपने कर्म पर ध्यान दीजिए सद्परिणाम अपने आप मिल जाएगे। मेहनत से कमाया पैसा दिखता तो कुछ नहीं हैं, पर पारिवारिक जीवन सदा सुखद होता हैं इनमें कोई दो राय नहीं हैं। अंत में फिर यही कहूंगा कि पैसा कमाओ और पैसा भविष्य के लिए बचाओ भी, लेकिन सुखद तरीके से।
-✍🏻 सूबेदार रावत गर्ग उण्डू
(सहायक उपानिरीक्षक -रक्षा सेवाऐं और
स्वतंत्र लेखक, रचनाकार, साहित्य प्रेमी, आकाशवाणी श्रोता )
निवास - 'श्री हरि विष्णु कृपा भवन '
ग्राम - श्री गर्गवास राजबेरा, पोस्ट ऑफिस - ऊण्डू
तहसील उपखंड - शिव, जिला - बाड़मेर
पिन कोड - 344701 राजस्थान ।
No comments:
Post a Comment