मैं न रहूंगा, तब क्या होगा
यह संसार का नियम अटल सत्य है,
आया है उसे अवश्य ही जाना होगा ।
यह तो सच है मधुर बसंत में, तुमको नहीं जरूरत मेरी ।
पर पतझड़ के आगमन पर, मैं न रहूंगा तब क्या होगा?
जीवन के इस मधुमय बसंत में,
प्रकृति विहंस हरी-भरी क्षणभर में ।
अवनि का अंचल लहराया,
पर तुमने मेरा उपहास उड़ाया ।
यह तो सच है मान तुम्हारा, मैंने सदा-सदा सहा है ।
पर मान तुम्हारा जिस दिन, मैं न रहूंगा, तब क्या होगा?
पावस की पावन बेला पर,
सतरंगी फुहार उड़ रही।
बादल का घन-घन गर्जन,
विजय घोष, दुंदुभी बज रही ।
यह तो सच है, इस अवसर पर, तुम्हे नहीं जरूरत मेरी।
पर आसूं की उस उमड़न पर, मैं न रहूंगा, तब क्या होगा ?
शीत ऋतु की शुरुआत हुई है,
भूली बिसरी याद आ रही हैं ।
बै बंदरिया मंडोवर नगरी मन में,
मधुकनों की बौछार दिल को चाल रही।
यह तो सच है गुरूर-उष्मा में, सब कुछ तुम भुल गई ।
पर इस सर्द की ठिठुरन में, मैं न रहूंगा तब क्या होगा ?
वक्त ऐसे बीती बातें याद दिला रहा,
तुम भी याद करों वो दिन वो रातें ।
तन मन सब जला रहा सूरज की भीषण ज्वाला में,
है जाड़े के दिन च्यार, फिर सब ऋतुएं आने में ।
यह तो सच हैं अपनी मस्ती में, तुमने गुबार में सब उड़ा दिया ।
पर विरह के असह्य अनल में, मैं न रहूंगा, तब क्या होगा ?
दधला तुम ही मेरे दिल की धड़कन,
तुमसे ही है मेरे जीवन को सरगम ।
इस जग की सौंदर्य सुधा - तुम,
तुमने ही किये पूरे स्वर्ण स्वप्न तब।
यह तो सच है मैंने तुमसे, उपेक्षा उपहार सहा हरदम ।
पर विकट वेदना सागर में, मैं न रहूंगा, तब क्या होगा ।
यह तो सच हैं मधुर बसंत में, तुमको नहीं जरूरत मेरी ।
पर पतझड़ के आगमन पर, मैं न रहूंगा, तब क्या होगा ?
हरे-भरे लगाओं वृक्ष, बनाओ शुध्द वातावरण आज ही।
कल पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण से बाहर होगा,
तब आप पेड़ लगाओगे, पर मै न लगा तो क्या होगा?
करो प्रकृति पेड़-पौधे व जीव-जंतुओ से प्यार,
बन्धुओ! यही तो है अपने जीवन का आधार ।
यह तो सच है मधुर बसंत में, तुमको नहीं जरूरत मेरी,
पर पतझड़ के आगमन पर, मैं न रहूंगा, तब क्या होगा ?
- ✍🏻 फौजी साहब... सूबेदार रावत गर्ग उण्डू
"श्री हरि विष्णु कृपा भवन "
ग्राम - श्री गर्गवास राजबेरा,
तहसील उपखंड - शिव,
जिला मुख्यालय - बाड़मेर,
पिन कोड - 344701 राजस्थान
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