Ghazal
निभा लो हर एक रिश्ता पता नहीं कहा काम आएगारख लो आस दिल में सबरी वाली मिलने फिर राम आएगा
किसान भी तो जीते हैं एक उसी झूठी आस में,
मेरे भी अनाज का एक ना एक दिन उचित दाम आएगा
अगर पढ़ लो किताब में आने वाले हर नाम को ध्यान से
तो एक ना एक दिन उसी किताब में तुम्हारा नाम आएगा
तुम भी कर लो किसी के नैया को पार किसी मुसीबत में
तुम्हारी भी मुसीबत में नैया पार करने श्याम आएगा
कवि जय पटेल दीवाना
मुँगाणा बाँसवाड़ा
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