ग़ज़ल
वो ग़मो को यूं हवा देते हैं
हम ख़ुशी को भी भुला देते हैं
मेरे हर राज़ से हैं वो वाकिफ़
इसलिए ही तो दग़ा देते हैं
जोड़ने की दिलों की ख्वाहिश में
हम ग़मो को भी भुला देते हैं
कम नहीं वो खुदा से भी यारो
जो के बिछड़ो को मिला देते हैं
ज़ात मज़हब की सियासत में ही
वो हमें खूब लड़ा देते हैं
-आकिब जावेद
पता- कोऑपरेटिव बैंक के पीछे बिसंडा
पिन- 210203
मो-9506824464
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ReplyDeleteGood epatrika