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गुनाहों बलात्कार की साज़िश रचने वाले आखिर कौन? Gunaho balatkar ki saajish rachne wala akhir kaun

*बेटा पढ़ाओ - संस्कार सिखाओ*

*गुनाहों की साजिश रचने वाला, बलात्कार करने वाला,दरिन्दगी की हदों को पार करने वाला आखिर कौन है? - उपाध्याय*

*चर्चा के साथ- साथ ही मुझे अपने सभी प्रश्नों के उत्तर सहज ही प्राप्त हो गये।*

*एक बार को तो किसी को समझ नहीं आया कि इस अभियान की आवश्यकता क्या है?*


*लक्ष्मणगढ़ सीकर*

बेटा पढ़ाओ - संस्कार सिखाओ अभियान पर प्रकाश डालते हुए लक्ष्मणगढ़ संजीवनी हॉस्पिटल व अभियान में लेखिका की महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए कवयित्री डॉक्टर निरुपमा उपाध्याय ने कहा कि युवा कवि एवम पत्रकार हरीश शर्मा ने पारम्परिक विधा से हट कर एक  अलग ही अभियान का आगाज किया "बेटा पढ़ाओ - संस्कार सिखाओ'। एक बार को तो किसी को समझ नहीं आया कि इस अभियान की आवश्यकता क्या है? *इससे समाज को क्या मिलेगा? आखिर हरीश शर्मा  कहना क्या चाहते हैं? मेरे मन में भी जिज्ञासा उठी और मैंने हरीश शर्मा से इस विषय पर विस्तृत चर्चा की। चर्चा के साथ- साथ ही मुझे अपने सभी प्रश्नों के उत्तर सहज ही प्राप्त हो गये।* एक युवा समाज की विकृतियों से त्रस्त होकर तलाशता है उन जड़ों को,उन कारणों को जो समाज को बुराईयों से दूषित करने में संलग्न हैं,बेटियों के जीवन को बर्बाद करने पर आमादा हैं,आखिर हम सब कुछ देखते हुए भी क्यों अनभिज्ञ हैं,कुछ समझने का प्रयास क्यों नहीं करना चाहते ?आप विचार करिये ! गुनाहों की साजिश रचने वाला, बलात्कार करने वाला,दरिन्दगी की हदों को पार करने वाला आखिर कौन है?हमारे समाज का बेटा या कोई और, ? फिर आवश्यकता बेटे को संस्कार सिखाने की, सामाजिक व्यवस्थाओं का ज्ञान कराने की,भला-बुरा सिखाने की,उसके अन्दर का इन्सान जगाने की, एक सुदृढ़ विचारधारा  प्रस्फुटित करने की आवश्यकता है या नहीं  ?वास्तव में बेटों को संस्कारवान बनाना,अच्छी व्यवहारिक शिक्षा देना,सन्मार्ग पर चलने को प्रेरित करना हमारा,आपका सभी का एकमात्र कर्तव्य है।यदि हम आज की युवा पीढ़ी को दिशा देने में सफल होते हैं तो निश्चय ही देश का गौरव विश्व में फैलेगा ओर हमारे देश की बहू -बेटियाँ खुली हवा में साँस ले सकेगी,उनकी उड़ान को रोकने में कोई बाधक नहीं होगा, हम गर्व से बोल सकेगे की भारत की बेटियाँ सुरक्षित हैं ।
         कवि हरीश शर्मा ने 18 महीनों के अथक प्रयास से अपने अभियान से पूरे देश के अगणित कार्यकर्ताओं को जोड़ा है।अनेक अधिकारी गढ़ भी हरीश जी की विचारधारा से प्रभावित होकर मन से जुड़कर अभियान को प्रगतिशील बनाने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं ।इस अभियान को आगे बढ़ाने में हरीश जी को बहुत कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ा है।शारीरिक,मानसिक और आर्थिक सभी बाधाओं से लड़ते हुए निरन्तर आगे बढ़ने का कुछ कर गुजरने का,जज्बा इस युवा को रुकने नहीं देता ।एक वर्ष के अन्दर ही हरीश शर्मा ने बेटा पढ़ाओ- संस्कार सिखाओ अभियान पर पुस्तक का प्रकाशन भी कराया है। पुस्तक में प्रकाशित लेख युवाओं के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं।
मैं हरीश शर्मा के प्रयास की सराहना करती हूँ औऱ उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हूँ,साथ ही अनुरोध करती हूँ सुधी और प्रबुद्ध वर्ग से कि समय की पुकार को सुनिए औऱ समझिए। बेटा पढ़ाओ - संस्कार सिखाओ अभियान से जुड़ कर सुयश के भागी बनिये।

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