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महिला दिवस पर निबंध Mahila diwas par nibandh नारी शक्ति पर निबंध

महिला दिवस (8th March)


नारी शक्ति को मै "ओमप्रकाश मेरोठा हाड़ौती कवि " सबसे पहले नमन करता हूं।सबसे पहले आप सभी को बता दू जिस नारी को मर्द कमजोर समझता है उस नारी के बेगेर तो हम जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते।नारी हर रूप में पूजनीय है। चाहे वो मां के रूप में हो या फिर पत्नी के रूप में या फिर बहन के रूप में....

                  ,,  "मां"। ,,

मां शब्द ही अपने आप में पूरा का पूरा संसार है।सच पूछो तो मां ही भगवान है।9 महीने तकलीफ सह कर मां एक बच्चे को जन्म देती है।उस के लालन पालन से लेे कर सभी काम मां ही करती है। मां की कोख से तो भगवान भी जन्मे है।तो नारी का सम्मान करो।

          ,,   "पत्नी"। ,,

नारी जब पत्नी के रूप में हमारे जीवन में आती है।तभी वो हमारे सभी जरूरतों को बिना शर्त के पूरा करती है।नारी ही एक घर को घर से स्वर्ग बनाती है।हमारी वंश को आगे बढ़ाती है।सुख दुख में हमारे साथ खड़ी रहती है।वो सब कुछ करती है सिर्फ एक सम्मान के लिए।सच पूछो तो मर्द नारी के बगैर मर्द नहीं बन सकता।

           ,, "बहन" ,,

बहन ही हमें सच्चे प्यार का मतलब सिखाती है।बहन सा कभी कोई दोस्त नहीं होगा।आज भी याद है मुझे बहन अपनी खाने की चीजे मुझे बिना किसी शर्त के दे दिया करती। मै छोटा हूं अपनी बहनों में।पर मुझे याद है सारा दिन मुझे मेरी बहने कभी रोने देती ही नहीं थी।सारा दिन अपनी गोद में खिलाती थी।वो प्यार आज तक थोड़ी भुला हूं।भला अब बेशक वो दूसरे घर को संभाल रही हो।पर जब आती है तो रोंक घर में अा जाती है।वो बचपन जिन्दा सा हो जाता है।

        ,,   "बेटी" ,,

जब एक नारी घर में बेटी बन कर जन्म लेती है तो वो अपने यौवन तक उस घर में सिर्फ खुशियां ही बखेरती है।मां के साथ घर को स्वर्ग बनाने का काम बेटी भी करती है।सच पूछो तो बेटी होने पर ही घर में मान मरियादा का पेड़ उगता है।जिस के संस्कारो के बीज से घर में संस्कार उगते है।बेटी की कीमत वो ही जानता है जिन के घर बेटी होती है। बहुत किस्मत वाले है जिन के घर बेटी होती है।

एक नारी सिर्फ सम्मान की भूखी होती है।वो सम्मान सुख सुविधाओं से नहीं बल्कि आत्म सम्मान की बात।वो आजादी जो वो खुल कर जीना चाहती है।बहार निकल तो किसी मर्द के साथ खुद को सुरक्षित महसूस करने की आजादी।खुल कर बोलने की आजादी।अपना जीवन जीने की आजादी।अपने विचार प्रकट करने की आजादी।अपनी मर्जी से जीने की आजादी......

आजादी पसंद किसे नहीं।पंछी,जीव,जानवर सब आजादी रहना चाहते है।एक पंछी के पर हो और उस पिंजरे में बंद कर दिया जाए तो वो पर किस काम के जिन्होंने उड़ान भर कर ही नहीं देखा।ठीक उसी तरह एक पढ़ी लिखी एक औरत को घर की चारदीवारी में बंद कर के उस पर घर चलाने की जिम्मेदारी सोफ दी जाती है तो फिर उसकी पढ़ाई किस काम की।

         "नारी" 

: जय हो नारी शक्ति :


                             Op Merotha hadoti kavi
                             छबड़ा जिला बारां (राज०)

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