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जाना पहचाना, जानकर भी मारना बहाना

नाटक :- जाना पहचाना, जानकर भी मारना बहाना !


प्रस्तुत हुआ :- ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के रामकृष्ण महाविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना से आयोजित 22 स्वच्छ भारत समर इंटर्शिप कार्यक्रम के कैवल्य ग्रुप से !
प्रस्तुत स्थल :- लालू टोला प्राथमिक विद्यालय जगतपुर, मधुबनी बिहार दिनांक :- 09-08-2019 शुक्रवार 12:30
    ° पात्र :-
(1) लड़का :- रमेश (राम )
( जगमोहना का लड़का लालमोहना )
(2) लड़की :- ( पूजा ग्रुप लीडर )
( नागेन्द्र महिन्द्र घोष की बेटी )
(3) दुकानदार (दही लेने वाला ) :- अमित
(4) पुलिस :- ( रोशन )
( खुदरा जिला हॉलसेलर थाना से )
(5) लड़का :- ( पूजा व अंकिता ) पर यहां का पात्र
लड़की की !
( उदनमा के बेटा रजनमा ) पुलिस के साथ आयेगा !
(6) कहने वाले :- प्रीती
(7) गाना गाने वाले :-  ज्योती
          नाटक आरम्भ :-
(1) लड़का :- (जगमोहन का लड़का लालमोहना,
राम का प्रवेश :-
ओई सुन इधर तू किसकी बेटी है  ? कहां से आयी है !
(2) लड़की :- (नागेन्द्र महिन्द्र घोष की बेटी पूजा
ग्रुप लीडर की प्रवेश ) :-
:- मैं यही की बेटी हूं, नागेन्द्र महिन्द्र घोष की तुम्हारे पिता
की दोस्त की !
(3) लड़का :- तो क्या ? हुआ , कहां जा रही हो ?
(4) लड़की :- तुम्हें कोई मतलब ? !
(5) लड़का :- मतलब , तू मतलब कहती हो ,अब ?
कहती हो तुम्हारे पिता के दोस्त की बेटी हूं, फिर इस
तरह का सवाल !
(6) लड़की :- हां. हां अंक्ल कहा करते थे , तुम्हारे बारे में
तुम दही चोर हो ,! छी छी छी ...
(7) लड़का :- ( उऊ उऊ उऊ ) का बोली दही ,
दही नहीं ले बही !
(8) लड़की :- का बही गंगा की यमुना !
(9) लड़का :- अरे ! बही खाता,खाता !.
(10) लड़की :- वही तो मैं भी कहती , कि तू दही
चुरा कर खाता !
(11) लड़का :- खाता यानि काफी रे ! काफी !
(12) लड़की :- कॉफी पीने के लिए दही बेचता, आ
जाना मेरे घर पिला दूंगी कॉफी !
(13) लड़का :- लिखने वाला काफी ,
(14) लड़की :- ओ दही जो बेचता है वह लिखता है
काफी में  क्या ?
(15) लड़का :- हां जा जा जा .. कहीं जा रही थी न
(16) लड़की :- हां जा तो रहीं थी !
( लड़की के सामने दही लेने वाले दुकानदार का प्रवेश )
अमित का प्रवेश !
(17) दुकानदार :- अरे ! बबुआ दही कहां है , आज बड़का
पार्टी मिला है ! तौल - तौल जल्दी
( दो सेकंड बाद )
जा बर्तन ही नहीं लाया, ले बाबा ले बाबा , आज
की लक्ष्मी चला गया लें !
(18) लड़का :- दुकानदार को संकेत करते हुए, कौन है
तू ? ( हाथ घुमायेंगा )
(19) दुकानदार :- अरे ! जगमोहना का बेटा हम तेरा
पार्टी पहचाना, अरे भाग भाग उदनमा का बेटा रजनमा
पुलिस को लेकर आ रहा है ! देख ले देख ....
( तभी ही पुलिस का प्रवेश होगा साथ में गांव
का लड़का भी रहेगा ! )
रोशन, पूजा व अंकिता का प्रवेश : -
(20) गांव का लड़का (रजनवा ) :- अंकिता :-
पुलिस से कहेंगे :- साहब-साहब वही दोनों मिलकर
दही बेचता है,देखिये भाग रहा है !
(21) पुलिस :- रोशन :-
रूक ले हमें दही लेना है , खुदरा जिला हॉलसेलर थाना
से आया हूं ! जगमोहना का लालमोहना बेटा कौन हैं !
(22) दुकानदार और लड़का :- (दोनों कहेगा ):-
हम है, हम है ,हम दोनों हैं, बोलिए सर कितना किलो
लीजिएगा !
(23) पुलिस :- कितना करके के.जी है !
(25) दुकानदार :- साहब ये क्या कह रहे हैं ,के.जी, एल.
के.जी ( Kg,Lkg ) तो स्कूल में होते हैं ! हमलोग पव्वा,
सेर, किलो करके बेचते हैं ! एक किलो दो रुपया !
(25) पुलिस :- जानते ही हो हम हॉलसेलर थाना से
आये हुए है, तो खुदरा थोड़ी लूंगा ! एक क्विंटल दे दो !
(26) दुकानदार :- मतलब ?
तभी ही लड़की पूजा आकर कहेंगी :-
(27) लड़की :- साहब बोल रहे हैं सौ किलो !
(28) दुकानदार :- क्या छः किलो ?
(29) पुलिस :- नहीं एक सौ किलो चाहिए !
(30) दुकानदार :- ठीक है सर दें रहें हैं ,दे रहे है,
( हाथ हिलाकर कहेगा ):-
सौ को दो से भाग करके थोड़ा मेरा हिसाब कर
दीजिए !         (100÷ 2=50)
(31) पुलिस :- ओय (धीरे से कहेगा )
हां दो से डिवाइड करके पचास रुपये हुए
( जोर से कहेगा )
(32) दुकानदार :-
साहब डिवाइड नहीं भाग करके बताइये !
(33) पुलिस :- अरे भाग करके ही पचास रुपये हुए !
(34) दुकानदार :- भूल हो गया , सर माफ़ कर दीजिए
, दही सौ किलो हुआ ना, दो से गुणा कर दीजिए !
(100×2=200 )
(35) पुलिस :- हां दो सौ रुपये हुए
( पेंट का पॉकेट से पैसा  हाथ से निकालते हुए कहेगा )
ये लो .... ये लो .....
दुकानदार को पैसा देते ही  अंत में सभी गाना गायेंगे !
यहां प्रीती गायी :-
जाना-पहचाना ,
है फर्ज निभाना .....
ईमानदारी की ज़माना , थोड़ा बहाना ,
कड़ी मेहनत से कमाना और दुनिया हंसाना ....
दुनिया हंसाना ... दुनिया हंसाना .... अअ ...
# गाना के बाद कोई एक जन शायरी सुनायेंगे !:-
जैसे यहां पर ज्योती सुनाई !:-
शायरी, नाटक, कहानी, व्यंग्य, कविता की है स्वर ,
सूर्य की रोशन , चांद, सितारे रहेंगे, क्या आप लोग
फिर से मिलियेंगा कल !
यह मेरी नहीं , है जग की शोर ,
आभारी हूं आप लोगों का इतना वक्त दिये हमें नाटक
प्रस्तुत करने में
तन-मन से दिया हूं हाथ जोड़ ...
तन-मन से दिया हूं हाथ जोड़ .....!
                  
     रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज 
कोलकाता भारत

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