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लघुकथा - 15 अगस्त पर माँ की आश pndrah August par maa ki aasha

लघुकथा - 15 अगस्त पर माँ की आश


          पंकज की दादी 15 अगस्त की सुबह जल्दी से ही तैयार हो गयी थी।जैसा कि उसे मालूम था कि 15 अगस्त पर सभी टीवी के समाचार चैनलों पर भारत देश के सैनिकों को दिखाया जाता है।हर बार की तरह वह भी अपने पोते पंकज की एक झलक पाने के लिए टीवी के सामने बैठ गई। 65 साल की दादी को यह उम्मीद थी कि किसी ने किसी चैनल पर सैनिकों के इंटरव्यू के बीच में उसके फौजी पोते पंकज की झलक भी उसको दिखाई देगी और उसी इंतजार में उन्होंने सुबह से ही टीवी चला लिया।

          अचानक पंकज के पिता उनके कमरे में आए और उन्होंने अपनी मां की तरफ गुस्से से देखा और बिना कुछ कहे काफी गुस्से के साथ कमरे से बाहर निकल गए।पंकज की दादी का अभी पूरी तरह टीवी पर ही ध्यान था।कुछ समय बाद पंकज के पिता फिर कमरे में आए।इस बार अपनी मां से वह गुस्से से बोले क्या माँ तुम 26 जनवरी और 15 अगस्त पर टीवी चला कर बैठ जाती है।क्यों बार-बार भूल जाती हो कि तुम्हारा पोता पंकज दो साल पहले बॉर्डर पर दुश्मनों से लड़ते हुए शहीद हो चुका है।

          यह कहते हुए पंकज के पिता की आँखों में आंसू आ गए और पंकज की दादी की आँखे भी काफी नम थी।लेकिन पंकज की दादी ने कहा बेटा मुझे टीवी पर जो भी सैनिक दिखाई देता है।मुझे उसमें अपना पोता ही दिखाई देता है और उन्होंने बड़े प्यार से अपने बेटे को गले से लगा लिया।इसके बाद माँ और बेटे दोनों ही नम आँखों से टीवी में आ रहे समाचार देखने लगे।


नीरज त्यागी
ग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश ).
मोबाइल 09582488698
65/5 लाल क्वार्टर राणा प्रताप स्कूल के सामने ग़ाज़ियाबाद उत्तर प्रदेश 201001

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