कलम लाइव पत्रिका

ईमेल:- kalamlivepatrika@gmail.com

Sponsor

नादान दोस्त कहानी के लेखक प्रेमचंद है, नादान दोस्त कहानी का सारांश

 नादान दोस्त कहानी के लेखक प्रेमचंद है। , नादान दोस्त कहानी दो भाई-बहन पर आधारित है।,  इस कहानी में प्रेमचंद जी ने केशव और श्यामा नामक भाई-बहन की नादानी का जिक्र किया है।.  इस कहानी में बच्चों की नादानी की झांकी देखने को मिलती है।,  नादान दोस्त की कहानी का सारांश नीचे पढ़े।,

 

 

नादान दोस्त कहानी का सारांश / Nadan dost kahani Saransh

 

 कहानी का सारांश 

केशव और श्यामा दो भाई-बहन हैं। उनके घर के कार्निस के ऊपर चिड़िया ने अंडे दिए थे। दोनों भाई-बहन हर रोज चिड़िया को आते-जाते देखते हैं। दोनों भाई उनको देखने में इतने मगन हो जाते कि अपना खाना-पीना भी भूल जाते थे। चिड़िया के अंडों को देखकर उनके मन में कई सवाल उठते थे 

जैसे बच्चे कब बड़े होंगे, किस रंग के होंगे, बच्चे किस तरह से निकलेंगे। बच्चों के इन प्रश्नों का उत्तर देने वाला कोई नहीं था क्योंकि उनके पिता पढ़ने-लिखने में तो माँ घर के कामों में व्यस्त रहती थीं। इसलिए दोनों आपस में ही सवाल-जवाब करके अपने दिल को तसल्ली दे दिया करते थे।

इस तरह तीन चार दिन गुजर जाते हैं। दोनों चिड़िया के बच्चों के लिए परेशान होने लगते हैं। उन्हें लगता है कि कहीं चिड़िया के बच्चे भूख-प्यास से न मर जाय।

नादान दोस्त की कहानी का सारांश 

वे चिड़िया के अंडों की सुरक्षा हेतु विभिन्न उपाय करते हैं जैसे खाने के लिए चावल और पीने के लिए पानी, छाया के लिए कूड़े की बाल्टी और अंडों के नीचे कपड़े की मुलायम गद्दी को बनाकर रखना। यह सारा कार्य उन्होंने पिता के दफ़्तर जाने और दोपहर में माँ के सो जाने के बाद किया।

परन्तु उनके उपाय निरर्थक हो जाते हैं। चिड़िया अपने अंडे स्वयं ही तोड़ देती है। बच्चों की माँ को जब यह बात पता चलती है तो वे उन्हें बताती है कि चिड़िया के अंडों को छेड़ने से वह दोबारा उन्हें सेती नहीं बल्कि उन्हें तोड़ देती है। यह सुनकर दोनों को बहुत पछतावा होता है। परन्तु बहुत देर हो चुकी होती है। वे दोनों अंडों की सुरक्षा के लिए अच्छे कार्य ही करते हैं। परन्तु ज्ञान और अनुभव की कमी के कारण वे उनकी बर्बादी का कारण बन बैठते हैं। उसके बाद उन्हें वह चिड़िया कभी दिखाई नहीं देती है। उनके छूने से अंडे खराब हो जाते थे इस बात की जानकारी इनको नहीं थी और अनजाने में बच्चों ने चिड़िया के अंडे को खराब कर दिया।

 नादान दोस्त कहानी के लेखक प्रेमचंद है।

दोनों बच्चों की नादानी से चिड़िया के अंडे खराब हो जाते हैं। ये दोंनो चिड़िया की मदद करना चाहते थे पर अनजाने में अंडे खराब कर देते हैं इसीलिए प्रेमचंद ने उन दोनों को नादान दोस्त कहा है। यह कहानी हमें सीख देती है कि किसी भी कार्य को करने से पहले पूरी तरह से सुनिश्चित कर लें कि जो आप कर रहे हैं, वह सही है या नहीं। केशव और श्यामा ने चिड़िया के बच्चों के लिए जो भी किया था यदि वे अपने माता-पिता से एक बार पूछ लेते, तो शायद वे उन चिड़िया के बच्चों को अपने सामने देख पाते।

No comments:

Post a Comment