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आज की आधुनिक नारी (महिलाए) .... Adhunik mahila

आधुनिक नारी

चहरे पे ना जाना इनके
यें नही है भोली भाली
सिर्फ मासूम है सूरत इनकी
सौंदर्य से मोहित करती
तेज तरार हैं आधुनिक नारी।।
आज - कल की ये छोरी
है फैशन की दीवानी
घर का काम - काज न जाने
सास - सासूर की सेवा ना भाये;
पालर में जा सजने वाली
खर्चे की दुकान है।
लेना ना पंगा इनसे
बना देगी चटनी तुम्हारी,
अब नही; सिर्फ चूड़िया पहनने वाली
झाड़ू - बेलन इनके हाथों में
कानूनी दाव-पेच भी जाने
आज  की पढ़ी लिखी नारी।   
फैमिली मे अर्जेस्ट नही हो पाती
घर तोड़ पति संग घर बसाती
ना घूँघट ना परम्परा इनको भाता
दिन-भर टी-वी सेे चिपकी रहती
आज की आधुनिक नारी।
       
        कवि मस्ताना

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