*आचार्यश्री जैसा कोई नही*
सतगुरु जैसा कोई जगतमें,
उनका ही गुण गान करो।
मन की मैली चादर
अपनी,
बिन साबुन है साफ करो।।
मुनि रूप में विद्यासागर, आये करने को उद्दार।
महिमा इनकी कोई न जाने,
इनके तो रूप है हजार ।
दर्शन गुरु के करो हमेशा,
सुबह सबरे जाप करो।
मन कीं मैली चादर अपनी ।
बिन साबुन ही साफ करो।।
गुरु ज्ञान सागर जी ने, विधा को शिष्य बनाया था।
लहराती गुरुभक्ति में उन्हें, आचार्य पद दिया था।
गुरु चरणों मे मन को लगाकर,
तृष्णाओं का नाश करो।
मन की मैली चादर अपनी ,
बिन साबुन ही साफ करो।।
गुरु ज्ञान सागर के शिष्य,
विधा गुरु है संत महान ।
लाखो शरणा सीस झुकते,
हम सब के है वो भगवान।
गुरु चरणों मे मन को लगाकर,
तृष्णाओं का नाश करो।
मन की मैली चादर अपनी,
बिन साबुन ही साफ करो।।
सतगुरु जैसा कोई जगत में,
उनका ही गुण गान करो।
मन की मैली चादर अपनी,
बिन साबुन ही साफ करो।
बिन साबुन ही साफ करो।।
संजय जैन (मुम्बई)
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