लघुकथा --- दोष किस का
लक्ष्मी को 10 वर्ष पूर्व मरे बच्चे की याद आ गई, '' मेरा बच्चा कहां है ?''
'' वह तो उसी समय मर गय था ?''
'' आप झूठ बोल रहे हैं. मुझे वह नर्स मिली थी, जिस ने मेरा प्रसव करवाया था. उस ने सच्चाई बात दी है. मेरा बच्चा जीवित पैदा हुआ था.''
'' क्या ! '' पति बोला, '' उस ने पूरी सच्चाई नहीं बताई ?''
'' मैं कुछ नहीं जानती. मुझे मेरा बच्चा चाहिए. आप मां की ममता क्या जाने ? आप पिता है. मैं ने उसे नौ माह पेट में रखा. मैं जानती हूं कि इतने साल उस के बिना कैसे रही ? आप यह बात समझ नहीं पाएंगे. क्यो कि आप एक मर्द है.'' यह कहते हुए लक्ष्मी रो पड़ी.
'' अरे भाग्यवान ! वह मरा हुआ पैदा हुआ था. तू समझती क्यों नहीं हैं ?''
'' आप झुठ बोल रहे हैं. '' कहते हुए लक्ष्मी ने अपने पति का हाथ पकड़ कर अपने सिर पर रख दिया, '' मेरी कसम खा कर कहिए. मरा हुआ बच्चा पैदा हुआ था.''
पति चुप रहा.
'' आप बोलते क्यों नहीं ? मेरा बच्चा कहां गया ?'' लक्ष्मी ने पति को झिझोड़ कर कहा, '' बताइए. आप को मेरी कसम है.''
'' तू ने कसम खिला कर अच्छा नहीं किया लक्ष्मी. तू नहीं जानती लक्ष्मी कि वह हमारे लिए कलंक था. उसे जहां जाना था, वहां चला गया. उसे याद कर के अपनी कोख को क्यों लजाती हो.''
सुन कर लक्ष्मी पति को मुंह देखने लगी, '' वह नपुसंक पैदा हुआ था इसलिए उसे अपने वाले लोग आ कर ले गए.'' कह कर पति ने अपने आंसू पौंछ कर अपना मुंह फेर लिया और चुपचाप घर से बाहर निकल गया.
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०३/०२/२०१८
ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”
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