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एलजी की कलम से व्यंग्य, डर लगता संसार से, Dar lagta Sansar se


शीर्षक: डर लगता संसार से

एलजी की व्यंग्य रचना

सारे बच्चे होकर इकट्ठे, बोल रहे थे प्यार से
धरती पर मत भेजो भगवन, डर लगता संसार से
कम उम्र का जीवन जीकर, आते यूपी बिहार से
धरती पर मत भेजो भगवन, डर लगता संसार से

अस्पताल बदहाल पड़े है, वहां किसी का ध्यान नहीं।
देख कर हालत लगता ऐसा , अपना हिंदुस्थान नहीं।
गर होती है कोई बीमारी, वंचित हैं उपचार से
धरती पर मत भेजो भगवन, डर लगता संसार से

कोई भी उम्मीद नहीं है, शासन और प्रशासन से
पेट नहीं भरता है अपना,नेताओं के भाषण से
जीते जी हम मर जाते हैं, होते अत्याचार से
धरती पर मत भेजो भगवन डर लगता संसार से

मात-पिता की हालत देखो, लगते है लाचार से
छोटी छोटी मासूम बिटिया, गुजर रहीं दुराचार से
सुरक्षा भी मिलती नहीं है, भारत की सरकार से
धरती पर मत भेजो भगवन डर लगता संसार से

लोमेश कुमार गौर, एलजी
हरदा मप्र
9826696230

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