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रचनाकार विकास चौबीसा लिखते हैं एक गीत

*गीत*

क्या गजब दीवाने थे भारत के वन्देमातरम गाते थे
मातृभूमि की सेवा खातिर वे अर्पित हो जाते थे।

छलनी छलनी सीना होता, हर अंग भंग हो जाते थे
आजादी के मतवाले वीर, बलिदानी वे हो जाते थे ।
जय इंकलाब के नारे गाते,आगे बढ़ते जाते थे
क्या गजब दीवाने थे भारत के, वन्दे मातरम गाते थे

वीर सिपाही बम वाले, वे निर्भय होकर लड़तें थे
लोहा लेते दुश्मन से, केसरिया जामा पहने थे।
रंग दे बसंती चोला गाते, शूली पर चढ़ जाते थे
क्या गजब दीवाने थे भारत के, वन्देमातरम गाते थे।।

दुष्टो की गोली लगने पर, लाशें लथपथ हो जातीं थी
रक्त्तमय गगन होता और, धरती भी रंग जाती थी।
लहू की नदियां बहती थी, जब वे गोली खाते थे
क्या गजब दीवाने थे भारत के, वन्देमातरम गाते थे।।

अंतकाल से नही डरते वे,कफ़न बांधकर चलते थे
सीना तानकर चलते ओर,शत्रु से डटकर लड़तें थे।
जय घोष लगाते हिन्द देश की वे अर्पित हो जाते थे
क्या गजब दीवाने थे भारत के,वन्दे मातरम गाते थे।।

नाम - विकास चौबिसा
जन्मतिथि - 04/06/1997
जन्म स्थान - गाँव धोलागिर खेड़ा शहर सलूम्बर उदयपुर राजस्थान।
शिक्षा - बी. ए.(हिंदी साहित्य)
रुचि - शेरो शायरी व देश भक्ति कविताएँ लिखना।
व्यवसाय - पढ़ाई
सम्पर्क - 6376859748
ई मेल आईडी vikaschoubisa382@gmail.com

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