मुक्तक दरिन्दे बेटियों की इज्जत नोंचते रहे पीड़ित खुद ही अपने आँसू पोछते रहे ओर मिला नही न्याय उनको न्याय वाले भी पीड़ितों को कोसते रहे धीरज सुथार डूँगरपुर(राजस्थान)
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