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मुक्तक ....धीरज सुथार

मुक्तक

दरिन्दे बेटियों की इज्जत नोंचते रहे
पीड़ित खुद ही अपने आँसू पोछते रहे
ओर मिला नही न्याय उनको
न्याय वाले भी पीड़ितों को कोसते रहे

धीरज सुथार
डूँगरपुर(राजस्थान)

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