कविता- वो फौजी
जैसलमेर की चिलचिलाती धूप में वो फौजी खड़ा रहता है,
सियाचिन की कड़कड़ाती ठंड में वो फौजी खड़ा रहता है।
आओ मिलकर नमन करे उस फौजी को,
जो कठिनाइयों के सामने पर्वत बन अड़ा रहता है।।
जिसके बाहुबल से शत्रु कहराता है,
जिसके भुजबल से पाक घबराता है।
आओ मिलकर वंदन करे उस फौजी को,
जिसके शौर्य बल से भारत का झंडा लहराता है।।
पिता का घर बुलाता है माँ की याद आती है,
भाई का प्यार बुलाता है बहन की राखी याद आती है।
मिलकर करो इन्हें नमन करो ईनको तुम प्रणाम,
सब रिश्ते पीछे छोड़ जाते हैं जब सरहद बुलाती है।।
महेश चंद्र पाटीदार
गाँव- मुगांणा जिला- बांसवाड़ा
(राजस्थान)
Super bhai
ReplyDeleteJai hind
NILESH
DeleteAaag laga dii bhiyaa superppp
ReplyDeleteNILESH
DeleteSupar bhai
ReplyDeletesuper se bi upr ki he bhai
ReplyDeleteJay Hind
Good Mahesh,Jay Hind Jai Bharat
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