देख कर आज बारिश
मन किया आज कलम उठा ही लूँ
रख दी थी जो कलम
कभी न लिखने को
डायरी के उन पन्नो को
थोड़ा भिगो ही लूँ
डायरी के पन्ने भीगे है
आँसूओ से या पानी से
कुछ पता नही चलेगा
मौका अच्छा है
चलो आज रो ही लूँ
मैं राजू कुमार चौहान
निवास
वर्तमान -दिल्ली,
परमानेंट - सारण (बिहार)
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