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ससुराल जाऊँगा लेकिन कुछ नहीं खाऊंगा

ससुराल में जाऊंगा पर घी भुरा  नहीं खाऊंगा 


शर्मा जी को आज भी याद है 25 साल पुरानी वह बात जब पहली बार ससुराल पर जाने पर जो आओभगत हुई थी कभी नहीं भूल सकते शर्मा जी को ससुराल में बैठने की देर हुई नहीं थी कि उन्हें एक शुद्ध दूध से भरा बड़ा सा गिलास पिला दिया जिसे शर्मा जी ठीक से पचा नहीं पाए और अपने मोटी तोंद को निकाल कर दूध को पचाने के लिए टहलने भैंसों के तबेले की तरफ चल दिए जहां मच्छरों के घुंड ने उनका भरपूर स्वागत किया शर्मा जी जैसे तैसे करके वापस ससुराल की तरफ दौड़े तभी उनकी हष्ट पुष्ट साली जिसका रूप चाची ताड़का के जैसा था दोनों हाथ में घी भूरा भर लाई और अपनी कसम देते हुए कह दिया जीजा जी यह लीजिए शुद्ध देसी घी भूरा लगता  है आप कुछ खाते नहीं है बहुत ही कमजोर हो आप मुझे देखो मैं कितनी हष्ट पुष्ट हूं शर्मा जी अपने मन ही मन सोच रहे थे की चाची  ताड़का जैसा इसका स्वरूप  इतना हष्ट पुष्ट होना भी किस काम का शर्मा जी ने अपने पेट का ख्याल रखते हुए घी भूरा खाने  से मना कर दिया इसी दौरान शर्मा जी के डेढ़ फूटा ससुर ने यह सारी बात सुन ली और सोचा कि अगर आज शर्मा जी ने घी भूरा नहीं खाया तो समझेंगे कि हमें उनकी आवभगत नहीं की तभी डेढ़ फुटिया ससुर बोले कि शर्मा जी आपको मेरी कसम आपको घी भुरा खाना ही पड़ेगा अब शर्मा जी बहुत ही बुरी तरह फस गए थे कि क्या करूं आखिरकार शर्मा जी ने ससुराल का शुद्ध घी भूरा खा ही लिया थोड़ी ही देर बात कर रहे थे कि शर्मा जी के पेट से अलग अलग तरह की आवाजें आने लगी भला शर्मा जी शहर के रहने वाले उन्हें ससुराल का शुद्ध घी भूरा कहां हजम होने वाला था शर्मा जी ने अपने सबसे बड़े साले को आवाज मारी की कहां हो साले साहब जल्दी से आइए कहीं ऐसा ना हो कि चारपाई  पर ना  निकल जाए किंतु शर्मा जी इस मामले में बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण थे शर्मा जी का साला ठहरा कानों से बहरा उसे जीजा जी की आवाज ही सुनाई नहीं दी तभी शर्मा जी ने पास पड़ा लौटा उठाया और सीधा भैंस के तबेले की तरफ चल दिए जिसके पास शौचालय था शौचालय पहुंचने में बस कुछ देर बाकी ही थी कि के शर्मा जी के पेट हे अजीबोगरीब आवाज आनी बंद हो गई शर्मा जी शौचालय पहुंच भी नहीं पाए थे कि रास्ते में ही काम हो गया वह दिन है और आज का दिन शर्मा जी ने दोनों कान पकड़ते हुए कसम खाई के ससुराल जाऊंगा पर घी भूरा  कभी नहीं खाऊंगा

अमित राजपूत गाजियाबाद

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