गले मिल जाओ
गले मिल कर आओ एक वादा कर लें,सुकूं मिल जाए रूह को ये कोशिश कर लें।
इंतजार की घड़ियां जरा लंबी हैं मगर,
मिलकर गुजार लेंगे इसे, ये इरादा कर लें।
वर्षों बीत गए यूं ही तनहा जीते जीते,
पल पल के सूनेपन को आज हम भर लें।
अब जो छाई है प्यार की खुमारी हम पर,
यह ना उतरे कभी मिलकर यह दुआ कर लें।
दुनिया की बुरी नज़र कहीं न लगने पाए,
अपने मासूम रिश्ते की हिफाज़त कर लें।
प्रेषक :कल्पना सिंह
पता :आदर्श नगर, बरा, रीवा( मध्य प्रदेश)
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