ऋतुराज
आए है ऋतुराजनंदन,करो अभिनंदन
खिले खिले सब लगेंगे, होगा वन्दन।।
प्रकृति नित रसपान करेगी, नये नये चोला गढेगी
बढ जाएँगी सुन्दरता जब, यह परवान चढेगी ।।
नव सृजित फल आएँगे, सुन्दर बाग दिखेंगे
बच्चो की टोली होगी, कोयल की बोली सुनेंगे।
बसंत की हर बात निराली, झूमे मन मतवाली
पवन भी होती मस्त मौला खूब बहती प्यारी प्यारी।।
चहकते सब यार दोस्त,होने को मदहोश
बेताबी झलकती ऑखो में, देख सुन्दरता होते वेहोश।।
ऐसा मौसम चक्र है, भारत वासियो को नसीव
देख जलते रहते है, आस पडोस करीब करीब।।
"आशुतोष"
पटना बिहार
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