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हॉस्पिटल में मरते हुए पिता के आखिरी इच्छा से हुई शादी hospital me marte huye pita ki aakhri ichchha se hui shadi

रियल कहानी -****

सच ---हॉस्पिटल में मरते हुए पिता के आखिरी इच्छा से हुई शादी 

ऐसा तो सिर्फ फिल्मों में होता है 


बनारस से सटे गाजिपुर जनपद के एक बुजुर्ग को जब एहसास हो गया की मेरी चन्द सांसें बची हैं तो उन्होने परिवार वालों से बनारस चलने की इच्छा जताई परिवार वालों ने उनको कबीरचौरा स्थित  मण्डलीय जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया , 
उनके साथ उनकी एक बेटी भी थी जिसके शादी की बात बनारस में चल रही थी बनारस में जब उनके होने वाले रिश्तेदारों को ये बात पता चली तो वे औपचारिकतवस बुजुर्ग को देखने हॉस्पिटल आये ,
होने वाले रिश्तेदारों को देखा तो उनके आंखों से आंसुओं की धारा बहने लगी अपुष्ट शब्दों एवं इशारों से उनके बेटी की शादी उनके सामने हो जाये ऐसी उन्होने आखिरी इच्छा जताई,
लेकिन ऐसा कहिं होता है अभी तो दहेज की रकम भी तय नहिं हुई थी कितने बाराती कब आयेंगे तिलक बरक्षा कुछ भी तय नही हुआ था सबमे खुसुर पुसुर होने लगी ,किसी ने 100 नम्बर डायल करके पुलिस को भी बुला लिया , 
लेकिन यहां तो माजरा हि कुछ और था अस्पताल के एक बेड पर एक बुजुर्ग जिसका आधा शरीर लकवाग्रस्त हो चुका था अस्पष्ट लड़खड़ाती आवाज कुछ इशारे और कुछ आंसूओं से अपनी आखिरी तमन्ना के रूप में अपनी बेटी की शादी देखना चाहता था मरणासन्न बुजुर्ग के पायताने चरणो कौ पकड़े बेटी चुपचाप रो रही थी और दूर सिरहाने होने वाला दामाद निर्लिप्त भाव से खड़ा था , 
लेकिन यही तो बनारस है ।
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यहां तो आज पुलिस वाले भी दोस्त बन गये , डॉक्टरो ने दवाई के साथ भावनाओं की भी खुराक परोस दी ,अस्पताल के अन्य कर्मियों ने भी विवाह विवाह के सामाजिक रस्म निभाने की बजाय सिन्दूर की वास्तविक कीमत समझाया। अन्य मरीज के परिजन ने आशीर्वाद की महत्ता समझाई। खास कर एक आखिरी सांस गिनते पिता के आशिवाद की। पल भर में ही दृश्य बदल गया ।
दवा के साथ साथ ही चुटकी भर सिन्दूर आया , बुजुर्ग का बेड ही पवित्र हवन कुण्ड बन गया , अगल बगल के मरीज बाराती बन गये , डॉक्टर जयेश मिश्रा पण्डित बन गये , लोगों की तालियां बैंड बाजा , परिजनो की दुआ मन्त्रोच्चार बनी , और बूढ़े बाप के आसुं दूल्हा दुल्हन के लिये सबसे बड़ा आशीर्वाद ।
लेकिन अलबेली शादी में दुसरे मिनट ही ठहराव आ गया ।
आशीर्वाद देने के लिये पिता के हाथ उठे तो उठे ही रह गये , उनके हाथों की आखिरी मुद्रा थी। खुशी से उनकी आंखें छलकी तो छलकती ही रह गयीं वो उनके अन्तिम आंसू थे।दिल धड़का तो फिर नहीं धड़का वो उनकी आखिरी धड़कन थी। 
मैने आपसे शेयर किया क्युंकि किसी की आखिरी इच्छा पुरी करने से अच्छा कोई पुण्य नहीं हो सकता , और जिसकी सारी तमन्ना पूर्ण होती है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है और बनारस तो मोक्ष की ही धरती है ।ऐसी शादी और कहीं होती है क्या ऐसा तो सिर्फ फिल्मों में होता है......

Op Merotha hadoti kavi
छबड़ा जिला बारां राज०

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