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कृष्ण जन्माष्टमी Shri krishn janmashtmi pr kavita

 .         *कृष्ण जन्माष्टमी*


दिवस था वो कृष्ण पक्ष अष्टमी

कहते है जिसको हम जन्माष्टमी

जन्म हुआ नटखट कान्हा का

देवकी वासुदेव के हर्ष का कोई ठिकाना न था

पर थोड़ा सा थे वो घबराए

हे ईश्वर - कोई रास्ता सुझाए

खुल गई फिर बेड़ियां सारी

सो गए फिर सारे मंत्री प्रहरी 

टोकरी में फिर कान्हा को उठाए

वासुदेव नंद गांव को जाए

बरस रहे थे घनघोर काले बादल

यमुना की लहरों में थी हलचल

शेषनाग भी दर्शन पाए

उन्हें देख कान्हा मुस्काए

कान्हा देख नंद हर्षाए

दिया यशोदा को थमाए

नटखट मेरा नंद लाल

आया मेरा बाल गोपाल


प्रतिमा मिश्रा

जयपुर, राजस्थान

4 comments:

  1. बहुत ही शानदार प्रस्तुति दी आपने प्रतिमा जी

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