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Pyas प्यास

प्यास

एक अतृप्त शब्द
जो महसूस होता है
गहरे गले तक
प्यास
एक अतृप्त जीव
जो छटपटाता है
और कुछ नही पाता है
प्यास
एक धरा
जो बांझ हो जाती है
फिर जी नही पाती
प्यास
एक कामयाबी
जो तिल तिल जलाती है
मूक कर जाती है
प्यास
एक जिस्म
सब भस्म कर जाती है
फिर भी बुझ नही पाती है
प्यास
एक योग है
एक जोग है
एक भोग है
देखे तुम्हे क्या सुहाती है।।

©

डॉ ज्योत्सना गुप्ता
गोला गोकरननाथ
जनपद लखीमपुर खीरी

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