कलम लाइव पत्रिका

ईमेल:- kalamlivepatrika@gmail.com

Sponsor

रोबोट Robot

रोबोट


सुंदर चंचल नवयौवना छनकती घुंघरुओं की आवाज के साथ पूरे घर मे डोलती। खिलखिलाती हँसी जैसे पूरा जहाँ खुद में समेटने को आतुर।
अरे ये कैसे बेहुदे ढंग से हँसती हो। बस हँसी ठट्ठा के अलावा भी कुछ सीखा
ये आज कैसी सब्जी बना दी तुम्हे पता नही मुझे सब्जी में मीठापन पसंद नही।
उफ्फ्फ पार्टी में चल रही हो न कि किसी बाबा जी के सत्संग में , ये कैसी सारी पहन ली।
ये क्या हर वक्त कुछ न कुछ बोलती ही रहती हो। जरा देर शांत नही बैठ सकती। मैं भी बाहर से थका हुआ आता हूँ।
अरे घूमने जा रही हो चार दिन को ये महीने भर को , ये कितने कपड़े भर लिए।
खाते वक्त इतनी आवाज़ क्यों आती है, फूहड़ता की निशानी है।
आज घर मे प्रवेश करते वक्त किसी भी प्रकार की कोई आवाज़ नही हुआ । पूरा घर व्यवस्थित था। कही गयी है लगता ,शायद मंदिर पर इस वक्त ।
तभी गिलास में पानी और हलवा लिए आती दिखी जो सामने रखकर चली गयी बिना किसी आवाज़ के।
सब कुछ करीने से था । हलवा हमेशा की तरह स्वादिष्ठ था। उसका मन व्यथित होने लगा।
क्या चुभ रहा था ।..?
खाने की मेज सज चुकी थी । सब कुछ उसी की पसंद का था ।पेट भर गया। पर कुछ चुभ रहा था।
क्या था...  क्या था....
प्रत्येक चीज उसकी इच्छानुसार बिना कहे हो रही थी।
वो हर जगह घूम आया देख आया ।
सामने बिना आवाज़ किये काम करती रोबोट दिखी जो कंगन पड़े हाथ और बिना पायल के पैर और भावहीन चेहरा लिए थी।
   अब उस घर मे चंचल खिलखिलाती नवयौवना न थी वो रोबोट में परिवर्तित हो चुकी थी।
©
डॉ ज्योत्सना गुप्ता
गोला गोकरननाथ
जनपद खीरी

No comments:

Post a Comment