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इश्क ग़ज़ल ishq ek ghazal

      *इश्क*

दास्तान ए इश्क कुछ यूं रही,
तेरी तस्वीर हमें रात भर तकती रही...

शिकवे गिले खामोशियों में घुलते रहे,
तेरे मखमली हाथों में हम उलझे रहे...

मजबूरियां अपनी भुला कुछ देर को,
तेरी थरथराती आवाज़ हम सुनते रहे...
 
तुम कहते रहे, हम सुनते रहे,
हसरतों की आग में जलते रहे...

मेरी आस का सूरज है तू ,रौशन रहे,
मैं दर्द की बदली हूं, यूं ही तड़पा करूं...

दास्तान ए इश्क कुछ यूं रही,
तेरी तस्वीर हमें रात भर तकती रही....
अंजू
सहायक प्राध्यापक (समाजशास्त्र)
श्री महेश प्रसाद डिग्री कॉलेज लखनऊ
सदस्य महिला काव्य मंच (लखनऊ इकाई)
पता-राज गार्डन आलमनगर, लखनऊ

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