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Lev Vygotsky Ka siddhant/वाइगोत्सकी का सिद्धांत/सामाजिक सांस्कृतिक विकास का सिद्धांत/ZPD - zone of proximal development

   वाइगोत्सकी का सिद्धांत

सामाजिक सांस्कृतिक सिद्धांत      

 जैव सामाजिक विकास का सिद्धांत

 सामाजिक विकासात्मक सिद्धांत 

ZPD - zone of  proximal development (सामीप्य विकास का क्षेत्र)

निकट विकास का सिद्धांत

वाइगोत्सकी के सिद्धांत को ऊपर लिखित विभिन्न नाम से जाना (पुकारा) जाता है



■ वाईगोस्तकी रूस के रहने वाले थे

  वाइगोत्सकी के अनुसार बालक के विकास पर सामाजिक कारकों एवं भाषा का प्रभाव पड़ता है  इसीलिए इस सिद्धांत को सामाजिक सांस्कृतिक सिद्धांत के नाम से भी जाना जाता है।

 बालकों के विकास का महत्वपूर्ण आधार सामाजिक अंतः क्रिया होता है जिसमें बालक का  संज्ञानात्मक शारीरिक एवं सामाजिक विकास होता है। 

 वाइगोत्सकी अनुसार बालक का विकास समाज के द्वारा होता है। 

 सामाजिक अंतः क्रिया के द्वारा बालक ज्ञान को प्राप्त करता है। 

 वाइगोत्सकी ने कहा था कि बालक समाज के साथ अंतर क्रिया के द्वारा ही अपने विचार या भाषा का विकास करता है।  अर्थात भाषा भी सामाजिक अंतः क्रिया के द्वारा ही सीखता है।



 ★ बालक में भाषा दो प्रकार की Speech द्वारा सीखी जाती है

(1) Inner Speech – 

विचारों से उत्पन्न या मस्तिष्क से उत्पन्न विचार\ सोच को Inner Speech कहते हैं। 


(2) External Speech –

 इसे शाब्दिक भाषा भी कहा जाता है। बालक अपने विचार को दूसरों के

 सामने प्रकट करता है उसे External Speech कहते हैं




■ वाइगोत्सकी ने कहा था कि बालक में पहले विचार आते हैं फिर भाषा आती है

 जबकि पियाजे के अनुसार बालक में पहले भाषा आती है और फिर विचार आते हैं। 

 दोनों का निष्कर्ष यही निकलता है कि विचार और भाषा एक दूसरे पर आधारित होते हैं।  

अतः हम नहीं कह सकते कि पहले क्या आता है क्योंकि जो हम सोचते हैं वह भी एक भाषा है। 


भाषा यंत्र  

यह सामाजिक अंतः क्रिया के द्वारा एक संस्कृति से दूसरी संस्कृति तक स्थानांतरित करता है।  

भाषा के सभी गुण जैसे विचार, भाव, अनुभव, कौशल, ज्ञान, नैतिकता आदि समाज से प्राप्त करता है। 

1 अनुकरणीय सीखना  – बालक अनुकरण के द्वारा ही भाषा का अधिगम एक व्यक्ति से दूसरे 

व्यक्ति तक पहुंच जाते हैं या प्रगट करते हैं। 

2  निर्देशात्मक सीखना  – इसमें बालक किसी प्रौढ़ व्यक्ति जैसे- अध्यापक या अभिभावक के

 निर्देशों के माध्यम से ही स्वयं को ज्ञान से परिपूर्ण करता है.

 3 सहकारी अधिगम  –  इसमें बालक अपने साथियों के साथ विशिष्ट कौशलों को समूह बनाकर

 ग्रहण करते हैं.  अर्थात समान उम्र के बालकों के साथ अधिगम करते हैं. 


 कुल मिलाकर इन तीनों में सामाजिक अंतः क्रिया ही होती है अर्थात सामाजिक-सांस्कृतिक शब्द के

 साथ ही वाइगोत्सकी की थ्योरी बनती है।  


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