दौड़ चुनाव का
धरम-करम की बात हो
मन्दिर-मस्जिद का नाम हो
दंगों का आभास हो
पूरा देश चौकन्ना हो
समझो, बीता समय राजपाट का
आया, दौड़ चुनाव का।
पोस्टरो का झमेला हो
रैलियों का मेला हो
भाषणों में वार हो
खबरों की बौछार हो
बैठक में मुठभेड़ हो
समझो, बीता समय राजपाट का
आया, दौड़ चुनाव का।
घोड़े गधे भेड़ियों में गठबन्धन हो
भूल गीले शिकवे गले मिलते हो
जब रास्ते एक दूसरे के रोकते हो
कहीं लाठी, कहीं बम फूटते हो
अपना-अपना बाहुबल दिखाते हो
समझो, बीता समय राजपाट का
आया, दौड़ चुनाव का।
सामने खड़ा श्वेत पोशाक हो
सज्जन सा व्यवहार हो
पलभर की पहचान हो
बोतल की बहार हो
नोटों की बरसात हो
समझो, बीता समय राजपाट का
आया, दौड़ चुनाव का
दर्शन दुर्लभ हो जाये उनके
वादे बन्द हो जाये उनके
भूल गये अब आपको
खो गये मौज़ मस्ती में अपने
समझों, मिल गया राजपाट उनको
समाप्त हुआ, रेस चुनाव का।
राजू कुमार "मस्ताना"
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