ग़ज़ल
झूठ जुमले के सहारे चल रहे।
आसमां भू पर उतारे चल रहे।
मंज़िलों का कुछ नहीं उनको पता,
आज बिन सोचे विचारे चल रहे।
हर तरफ़ है ज़ह्र आलूदा हवा,
पर शजर पर रोज़ आरे चल रहे।
हमनवा को जानते हरगिज़ नहीं,
साथ लेकर चाँद तारे चल रहे।
है चरम पर जीत जाने का जुनूं,
यूँ अराजक रोज़ नारे चल रहे।
हमीद कानपुरी,
अब्दुल हमीद इदरीसी,
179, मीरपुर, छावनी,कानपुर-208004
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